देश में शोध के लिए बजट में चार गुना से अधिक की बढ़ोतरी: राजीव बहल
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- Feb 13, 2025
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नई दिल्ली, 13 फ़रवरी (हि.स.)। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर ) के महानिदेशक राजीव बहल ने गुरुवार को बताया कि पिछले 12-13 सालों में देश में शोध के लिए बजट में चार गुणा से अधिक बढ़ोतरी हुई है। कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए शोध कार्य सभी के सामने हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विज्ञान भवन में गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता में आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने कहा कि बजट में मुख्यतौर पर तीन बातों पर ध्यान दिया गया है जिसमें शोध कार्यों का देश में इको सिस्टम तैयार करना और क्षमता निर्माण करना शामिल है। आईसीएमआर एक स्वायत्त संस्था है। आईसीएमआर शोध कार्यों के लिए 300 से अधिक संस्थाओं को मदद देता है। साल 2012-13 में आईसीएमआर को 840 करोड़ रुपये का बजट आंवटित किया गया था जो साल 2025-26 में बढाकर 3125 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यानि चार गुना से अधिक बढ़ोतरी है। यह केन्द्र सरकार के शोध कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है।
राजीव बहल ने बताया कि आईसीएमआर ने 2024-29 कार्य योजना तैयार की है जिसका उद्देश्य छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके भारत के स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को बदलना है। इनमें स्वदेशी और सस्ती स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना, रक्ताल्पता, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर), गैर-संचारी रोग (एनसीडी), बाल कुपोषण और जलवायु परिवर्तन प्रभावों जैसी कठिन और प्रतिरोधी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करना, प्रौद्योगिकी- आधारित निगरानी को बढ़ाना, डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों में वृद्धि करना, अनुसंधानों का उपयोग करना, चिकित्सा उपायों में तेजी लाना तथा चिकित्सा अनुसंधान में भारत की वैश्विक रैंकिंग को ऊपर उठाना शामिल है। इस व्यापक योजना से नवाचार में तेजी आने, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने तथा भारत के चिकित्सा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में अग्रणी रूप में स्थापित होने की उम्मीद है। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अनुसंधान और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी