फरीदाबाद : सूरजकुंड मेले में हाथ से बनी गुजराती साडिय़ों की धूम

पटोला, बंधनी, घीच और अजरख सरीखी साडिय़ों की वैरायटी की भरमार

फरीदाबाद, 9 फरवरी (हि.स.)। 38 वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में पर्यटकों को गुजरात की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की झलक देखने को मिल रही है। शिल्पकार अपने राज्य की विविध कलाओं, और परिधानों का प्रदर्शन कर मेला प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वहीं मेला में हैंड मेड गुजराती साडिय़ों की धूम है। उल्लेखनीय है कि गुजरात की साडिय़ां अपनी विशिष्टता और बुनाई की तकनीकों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें पटोला, बंधनी, घीच, और अजरख जैसी साडिय़ां शामिल हैं, जो अपने रंगों, पैटर्न और बुनाई की जटिलता के लिए जानी जाती हैं। परिधान से जुड़ी स्टालों पर गुजराती हैंडमेड साडिय़ां महिलाओं की पहली पसंद बनी हुई हैं। खरीदारी के साथ ही महिलाएं पारंपरिक डिजाइन और बुनाई की उत्कृष्टता की जानकारी मेले में ले रही हैं। चूंकि मेला में बुनकर और शिल्पी देश व विदेशी स्टालों पर आगंतुकों को कलाओं की बारीकी से जानकारी दे रहे हैं। कारीगरों की खूबसूरत गुजराती साडिय़ों में कला और मेहनत की अनूठी कहानी भी छिपी हुई है। मेला में स्टॉल संख्या-979 के संचालक व प्रसिद्ध बुनकर गुजरात के गांव भुझुडी निवासी देवजी और बाया भाई कहते हैं कि उनका प्रमुख व्यवसाय हैंडमेड गुजराती साडिय़ां हैं। हथकरघा में उनके परिवार को अब तक सरकार द्वारा 10 राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें देवजी को वर्ष 1997 में नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा उनकी कला को सूरजकुंड मेले में भी चार बार अवार्ड मिल चुका है। उनका कहना है कि यहां मिलने वाली हर साड़ी सिर्फ एक वस्त्र नहीं, बल्कि गुजराती बुनकर की समृद्ध परंपरा का प्रतीक भी है।

हिन्दुस्थान समाचार / -मनोज तोमर

   

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