रामगढ़ में एनआरएचएम में स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी

-घोटाले की जांच में कर्मियों के नियोजन पर भी उठाए गए सवाल

रामगढ़, 28 सितंबर (हि.स.)। जिले में स्वास्थ्य विभाग का घोटाला हर दिन नई परत खोल रहा है। वेतन घोटाले से शुरू हुआ यह मामला अब नियोजन तक भी पहुंच गया है। डीसी चंदन कुमार के निर्देश पर तत्कालीन एसडीओ आशीष गंगवार, जिला आपूर्ति पदाधिकारी रंजीता टोप्पो, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार, रामगढ़ अनुमंडल के प्रषासी अधिकारी संजय कुमार बख्शी और एलडीएम दिलीप महली के द्वारा जांच प्रक्रिया की शुरुआत की गई।

इस दौरान पता चला कि एनआरएचएम के तहत स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली में भी भारी गड़बड़ी होने की संभावना है। एनआरएचएम के तहत रामगढ़ जिले में 9 बैंक खाता संचालित किए जाते हैं, जिसमें आइसीआइसीआइ बैंक, बैंक ऑफ़ बडोदा, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में बैंक खाता खोले गए हैं। बैंक ऑफ़ बडोदा के तीन बैंक खाते, स्टेट बैंक का एक खाता, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र का एक खाता का चेक पंजी, कैश बुक, तत्कालीन और वर्तमान डीएएम के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे उन खातों में हुई गड़बड़ी की जांच हो सके। इससे यह स्पष्ट है कि एनआरएचएम परियोजना के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति और योगदान की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की गई है। सभी कर्मियों को अनुपस्थिति विवरणी और संचिका में सिविल सर्जन से आदेश प्राप्त के आधार पर वेतन का भुगतान भी किया जाता रहा है।

सप्लायर का पैसा भी जाता था अनुसेवक के खाते में

जांच रिपोर्ट से सप्लायर और सामग्री आपूर्ति कर्ता की रकम भी एक अनु सेवक के खाते में भेजे जाने का मामला उजागर हुआ है। नियमानुसार आपूर्ति के उपरांत राशि का भुगतान संचिका में आदेश एवं सामग्री प्राप्त कर किया जाना चाहिए था लेकिन मो. अमजद हुसैन के खाते में फर्जी तरीके से जिला स्वास्थ्य समिति के सप्लायरों की राशि भी भेजी जाती थी। फेक वाउचर द्वारा राशि का गबन पिछले कई वर्षों से किया जाता रहा है।

रूद्रा एंटरप्राइजेज, महतो फ्यूल्स, वेंडर, विशाल एंटरप्राइजेज, डॉ पूजा कुमार, डॉ पल्लवी, अशोक कुमार विश्वकर्मा, स्टाफ सैलेरी, वैक्सीनेशन के नाम पर 521107 रुपए का घोटाला किया गया है। उसके इस घोटाले में अनुसेवक अमजद हुसैन, तत्कालीन जिला लेखा प्रबंधक (डीएएम) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीएम) बराबर के सहभागी हैं। क्योंकि उन्हीं के हस्ताक्षर से राशि का गबन किया गया है।

रांची में पदस्थापित महिला चिकित्सक को रामगढ़ से मिल रहा था मातृत्व लाभ

जांच के दौरान अधिकारियों को सबसे ज्यादा अचंभित करने वाली बात यह लगी कि रांची में पदस्थापित एक महिला चिकित्सक को रामगढ़ से मातृत्व लाभ दिया जा रहा है। जांच में यह पाया गया कि डॉ वीणा कुमारी को 29 दिसंबर, 2020 को रामगढ़ अस्पताल में पदस्थापित किया गया था, जिन्हें पुनः 4 फ़रवरी, 2021 को सदर अस्पताल रांची में पदस्थापित कर दिया गया। सिविल सर्जन रामगढ़ के द्वारा 5 फरवरी, 2021 को उन्हें विरमित भी कर दिया गया। इसके बावजूद वर्ष 2023 तक वीणा कुमारी को वेतन के अलावा मातृत्व लाभ भी दिया गया। यहां तक कि उन्हें अनुपस्थिति विवरणी संचिका में भी रक्षित बताया गया है। उनके विरमित होने के बावजूद उन्हें मार्च 2023 तक मातृत्व लाभ के तहत 735000 का भुगतान किया गया। रामगढ़ में नहीं होने के बावजूद तत्कालीन डीएएम हिना अग्रवाल, डीपीएम देवेंद्र कुमार, सिविल सर्जन डॉ महालक्ष्मी प्रसाद के द्वारा डॉ वीणा कुमारी के नाम पर वेतन का भुगतान कराया गया जो नियम के विरुद्ध है। उनके द्वारा राशि का भुगतान एवं पे आईडी की जांच नहीं करना और संचिका पर हस्ताक्षर करने से उक्त सभी कर्मी की संलिप्तता प्रतीत होती है। उस राशि को अमजद हुसैन की बैंक ऑफ़ बड़ौदा के खाते में 840000 को गलत ढंग से स्थांतरित किया गया था।

रोकड़ पंजी में भी मिली भारी अनियमितता

जांच पदाधिकारी को एनआरएचएम के रोकड़ पंजी की जांच में भारी अनियमित मिली है। 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2024 तक का रोकड़ पंजी जांच किया गया है। इस दौरान रोकड़ पंजी के संधारण में अनेक त्रुटियां मिली। रोकड़ पंजी के ओपनिंग बैलेंस, क्लोज बैलेंस को दर्शाया नहीं गया है। बहुत सारे ट्रांजैक्शन को रोकड़ पंजी में एंट्री ही नहीं किया गया। किसी भी अभिश्रव को पारित होने के पश्चात पेड़ और कैंसल्ड नहीं किया गया। ना ही एंटर्ड इन कैश बुक पेज नंबर के साथ एंट्री किया गया है। डेट वाइज कोई भी रिकार्ड संधारित संचिका में नहीं है‌। इसके अतिरिक्त लिखे गए अभिश्रव पंजी से संबंधित कोई भी दस्तावेज कमेटी के सामने प्रस्तुत नहीं किए गए। इससे यह प्रतीत होता है कि फर्जी रिकॉर्ड बनाकर भुगतान किया जा रहा था। यह क्रय संबंधी वित्तीय नियमावली का घोर उल्लंघन है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश

   

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