फिल्म नीति बैठक: राजस्थान की नई फिल्म और पर्यटन नीति पर चर्चा

जयपुर, 16 फ़रवरी (हि.स.)। देशभर के विभिन्न राज्य अपनी-अपनी फिल्म और पर्यटन नीतियां बना रहे हैं। इसी संदर्भ में राजस्थान सरकार भी एक बार फिर नई फिल्म और पर्यटन नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है। इस विषय पर चर्चा करने के लिए जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ने राजस्थान एडल्ट एजुकेशन एसोसिएशन में विशेषज्ञों और उद्योग जगत के पेशेवरों के साथ एक महत्वपूर्ण चर्चा का आयोजन किया।

राजस्थान के सिनेमा और संगीत उद्योग की प्रमुख हस्तियों ने राज्य की बदलती फिल्म नीति के संदर्भ में राजस्थानी सिनेमा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर खुली चर्चा की।

जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक हनु रोज़ की पहल पर आयोजित इस चर्चा में फिल्म उद्योग से जुड़े लगभग दो दर्जन प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया। उन्होंने राजस्थानी फिल्मों के निर्माण में आ रही चुनौतियों को उजागर किया। हनु रोज ने कहा कि इस बैठक से निकले महत्वपूर्ण सुझावों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा ताकि उन्हें नई नीति में शामिल किया जा सके।

बैठक के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई कि राजस्थानी सिनेमा से जुड़े पेशेवरों के लिए एक स्वतंत्र फेडरेशन का गठन किया जाएगा। यह फेडरेशन सरकार और हितधारकों के बीच सकारात्मक संवाद और चर्चा को बढ़ावा देगा।

चर्चा में सुझाव दिया गया कि सरकार को 2022 में लागू की गई फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति और राजस्थानी भाषा की फिल्मों के लिए प्रोत्साहन एवं अनुदान नीति की पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए। ये नीतियां जटिल, अव्यावहारिक और अप्रभावी सिद्ध हुई, जिससे न पर्यटन को लाभ हुआ और न ही फिल्म निर्माताओं को। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि नई नीति का उद्देश्य फिल्म निर्माण को बढ़ावा देना है, पर्यटन को बढ़ाना है या दोनों का संतुलन साधना है। एक स्पष्ट लक्ष्य से ही प्रभावी और व्यावहारिक नीति बनाई जा सकती है। इसके अलावा नई नीति को पारदर्शी और सरल बनाया जाए ताकि फिल्म निर्माताओं को अनुदान और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कोई अड़चन न हो।

चर्चा में शामिल अधिकांश लोगों ने सहमति जताई कि सरकार को मुफ्त शूटिंग लोकेशन, आतिथ्य समर्थन, और राजस्थानी फिल्मों के लिए विशेष सिनेमा स्क्रीनिंग की सुविधा देनी चाहिए। सरकार वर्तमान में आईफा के मद्देनजर फिल्म नीति बनाने की जल्दबाजी में है और उन्हीं व्यक्तियों से सलाह ले रही है जो पहले की असफल नीतियों के लिए ज़िम्मेदार थे, जिससे राजस्थान की छवि धूमिल हुई। ऐसे व्यक्तियों को नीति-निर्माण प्रक्रिया से दूर रखा जाए।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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