शक्तिपीठ अंबाजी मंदिर में आज से शुरू हुई ध्वजारोहण सुविधा

-शिखर पर चढ़ाने के लिए ध्वजा मंदिर से ही मिलेगी

-5 से 11 मीटर की ध्वजा का है अलग-अलग शुल्क

अंबाजी, 1 अगस्त (हि.स.)। शक्ति, भक्ति और अस्था का त्रिवेणी संगम यानी बनासकांठा जिले की दांता तहसील का शक्तिपीठ आरासुरी अंबाजी मंदिर उत्तर गुजरात में राजस्थान की सीमा के नजदीक स्थित है। देश के 51 शक्तिपीठों में इसे आद्यशक्तिपीठ के रूप में भी पहचाना जाता है। अंबाजी मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अंबाजी मंदिर के स्वर्ण शिखर पर ध्वजारोहण का विशेष महत्व होता है। इसे लेकर अंबाजी देवस्थान ट्रस्ट ने विशेष व्यवस्था शुरू की है। सोमनाथ, द्वारका के बाद अंबाजी मंदिर में भी गुरुवार से ध्वजारोहण की सुविधा शुरू की गई है।

गुजरात के आद्यशक्तिपीठ आरासुरी अंबाजी माता मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण की सुविधा शुरू हो गई है। माता भक्तों को मंदिर के शिखर पर ध्वजा चढ़ाने के लिए अंबाजी मंदिर प्रशासन की ओर से शास्त्रोक्त विधि और पूजन के साथ ध्वजा प्रदान किया जाएगा। इसमें अलग-अलग लंबाई की ध्वजा की अलग-अलग राशि तय किया गया है। अंबाजी मंदिर में देवस्थान ट्रस्ट की ओर से पहले श्रद्धालुओं की ओर से लाई गई ध्वजा को टेम्पल इंस्पेक्टर ट्रस्ट की ऑफिस में रजिस्टर्ड किया जाता था, जिसके बाद श्रद्धालु ध्वजारोहण करते थे। श्रद्धालुओं से इसका किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता था। लेकिन, अब 1 अगस्त, 2024 से लागू नई व्यवस्था के तहत ध्वजारोहण के लिए राशि तय की गई है और यह ध्वज मंदिर की ओर से प्रदान किया जाएगा।

अंबाजी मंदिर के प्रशासक कौशिक मोदी ने बताया कि हाल में कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं की ओर से लाई गई ध्वजा मंदिर ट्रस्ट की ऑफिस में रजिस्टर्ड कर मामूली शुल्क लेकर चढ़ाने दिया जाएगा। 1 अगस्त से नए नियम लागू कर दिए गए हैं, जिसमें मंदिर की ओर से ही ध्वजा दी जाएगी। ध्वजा टेम्पल इंस्पेक्टर के कार्यालय से सुबह 7 बजे से दिन के साढ़े चार बजे तक प्राप्त किया जा सकेगा। इसमें 5 मीटर की ध्वजा का शुल्क 2100 रुपये, 7 मीटर की ध्वजा का शुल्क 2500 रुपये, 9 मीटर की ध्वजा का शुल्क 3100 रुपये और 11 मीटर की ध्वजा का शुल्क 5100 रुपये तय किया गया है। ट्रस्ट की ओर से नियुक्त पुजारी शास्त्रोक्त विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय / संजीव पाश

   

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