जातिगत जनगणना और पहलगाम पर गहलोत का बयान : कहा- सरकार तस्वीर साफ करे, विपक्ष ने पीएम को फ्री हैंड दिया
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- May 01, 2025

जयपुर, 1 मई (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जातिगत जनगणना और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर अब सरकार को तस्वीर साफ करनी चाहिए कि जनगणना कब और कैसे होगी? वहीं पहलगाम हमले के मामले में उन्होंने कहा कि जब पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्री हैंड दे चुका है, तो बाकी लोगों को इस मुद्दे पर बहस और बयानबाजी से बचना चाहिए।
गहलोत ने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की मंशा अब तक साफ नहीं है। 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन अब तक बार-बार टाली जा रही है। उन्होंने कहा कि मैंने केंद्रीय बजट के आंकड़े देखे हैं, जिसमें जनगणना के लिए सिर्फ 600 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इतनी राशि में तो जनगणना हो ही नहीं सकती। सरकार को तुरंत पर्याप्त बजट देना चाहिए और साफ बताना चाहिए कि जनगणना कब शुरू होगी, इसमें कितना समय लगेगा और इसके बाद कौन-कौन से कदम उठाए जाएंगे?
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना को लेकर जिस आत्मविश्वास के साथ देशभर में बात की, उसका सरकार पर असर पड़ा और अंततः इसे लेकर फैसला लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि चाहे सरकार ने मजबूरी में किया या खुद से, यह एक बड़ा और जरूरी फैसला है।
जातिगत जनगणना एक शुरुआती कदम है। अब समय आ गया है कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को भी खत्म किया जाए, जिसकी मांग राहुल गांधी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर 75 साल बाद भी एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों को उनका पूरा हक नहीं मिला, तो इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
गहलोत ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि तेलंगाना सरकार ने जातिगत जनगणना के लिए जो तरीका अपनाया, वह वैज्ञानिक और व्यावहारिक था। भारत सरकार को उस मॉडल का अध्ययन करना चाहिए ताकि यहां भी उसी तर्ज पर न्यायसंगत कदम उठाए जा सकें।
गहलोत ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इस संवेदनशील मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरा समर्थन दिया है। राहुल गांधी ने साफ कहा है कि आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार जो भी फैसला लेना चाहती है, विपक्ष उनके साथ है। उन्होंने अपील की कि ऐसे गंभीर मामलों पर बाकी लोगों को बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि 1971 के युद्ध की तरह जब पूरा देश एकजुट था, आज भी हमें वही एकता दिखानी होगी। देश की सुरक्षा सबसे पहले है। जाति-धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर भाईचारा और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सरकार आगे ठोस कदम उठाएगी और जनता को जवाब देगी कि वह किस दिशा में काम कर रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित