पारिवारिक चिकित्सा स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देती है: राज्यपाल

देहरादून/ऋषिकेश, 29 सितंबर (हि.स.)। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा कि ‘पारिवारिक चिकित्सा और प्राथमिक देखभाल’ स्वास्थ्य सेवाओं की आधारशिला है। पारिवारिक चिकित्सक परिवार के सभी सदस्यों की स्वास्थ्य स्थिति को समझकर बेहतर इलाज कर सकते हैं। पारिवारिक चिकित्सा केवल रोग के इलाज तक सीमित नहीं होती, बल्कि स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने और रोकथाम पर भी ध्यान देती है।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल सिंह (से.नि.) रविवार को एम्स ऋषिकेश में पारिवारिक चिकित्सा और प्राथमिक देखभाल पर 6वें दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में देशभर के डॉक्टर्स ने विभिन्न सत्रों में आयोजित चर्चाओं में प्रतिभाग किया। इस दौरान राज्यपाल ने सराहनीय सेवाएं देने वाले डॉक्टर्स को सम्मानित किया और इस सम्मेलन की स्मारिका का भी विमोचन किया।

उन्होंने कहा कि बढ़ती हुई बीमारियों के दौर में इलाज की आवश्यकता कम, बचाव एवं काउंसिलिंग की जरुरत ज्यादा है। कोई भी परिवार या व्यक्ति अपने खान-पान, तनाव, घरेलू हिंसा, परेशानी, व्यक्तिगत परेशानियों के बारे में पारिवारिक चिकित्सक की सलाह लेना पसंद करते हैं। इसलिए फैमिली मेडिसिन और प्राइमरी केयर चिकित्सकों की अत्यंत आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि अगर हमारे डॉक्टर्स जनसमुदाय के बीच में जाकर समाज और परिवार की सतत निगरानी और काउंसिलिंग करें तो शायद बीमारियां अपना खतरनाक रूप ले ही नहीं पाएंगी और बीमारी बढ़ने से पहले ही ठीक हो जाएगी। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता की कमी के कारण लोग गंभीर अवस्था में ही चिकित्सकों के पास जाते हैं। प्राथमिक देखभाल को मजबूत करने से विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। उन्होंने डॉक्टर्स से दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचाने का आह्वान किया।

राज्यपाल ने एम्स, ऋषिकेश की निदेशक प्रो.मीनू सिंह के निर्देशन में चल रहे फैमिली मेडिसिन और सोशल आउटरीच सेल के द्वारा उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अभी तक 1.5 लाख से अधिक मरीजों को डोरस्टेप केयर देने और मलिन बस्तियों में कम्युनिटी वेलनेस कार्यक्रम व सुदूरवर्ती क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और ड्रोन के जरिए सुविधाएं देने के कार्य की सराहना की।

सम्मेलन में उपस्थित परमार्थ निकेतन के प्रमुख चिदानंद सरस्वती ने कहा कि परिवारों को अपनी पुरातन संस्कृति से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मेडिसिन के साथ-साथ मेडिटेशन जरूरी है। इस अवसर पर अध्यक्ष एकेडमी ऑफ फैमिली फिजीशियन ऑफ इंडिया डॉ. रमन कुमार ने भी अपने विचार रखे।

एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने देशभर से आए डॉक्टर्स का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सम्मेलन के संयोजक डॉ संतोष कुमार, डीन अकादमिक एम्स प्रो. जया चतुर्वेदी सहित अनेक डॉक्टर्स मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

   

सम्बंधित खबर