गुरु गोविन्द सिंह के 358वें प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा में शब्द कीर्तन और लंगर का आयोजन

अररिया, 06 जनवरी(हि.स.)।

फारबिसगंज के राम मनोहर लोहिया पथ स्थित गुरुद्वारा में सिख सम्प्रदाय के दसवें गुरु एवं खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविन्द सिंह के 358वें प्रकाश पर्व के मौके पर शब्द कीर्तन और लंगर का आयोजन किया गया।

मुख्य ग्रंथी ज्ञानी प्रदीप सिंह बेदी ने गुरुदास के साथ शब्द कीर्तन किया और गुरु गोविंद सिंह के जीवनी पर प्रकाश डाला।सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के पिताजी तेग बहादुर सिंह के मृत्योपरांत 11 नवम्बर 1675 में वह गुरु बने।1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की।

पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया।उन्होंने बताया कि मुगलों तथा उनके सहयोगियों के साथ 14 युद्ध लड़े।धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान दिया।जिनके उन्हें सर्ववंशदानी भी कहा जाता है।कालगीधर, दशमेष, बांजावाले आदि उपनाम से उन्हें जाना जाता है।उनके दरबार में 52 संत कवि तथा लेखक रहते थे।फलस्वरूप संत सिपाही के नाम से भी जाने जाते हैं।सरल,सहज,भक्ति भाव वाले कर्मयोगी गुरु गोविन्द सिंह की वाणी में मधुरता,सादगी,सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट कूटकर भरी थी।उनका मानना था कि धर्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है और सत्य कभी पराजित नहीं होता।

प्रकाश पर्व के मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी के अध्यक्ष प्रतिपाल सिंह,सचिव तेजेन्द्र सिंह,संदीप बराड़,इंद्रपाल सिंह,गुरुपाल सिंह,सुरजीत सिंह,पार्षद नंदन ठाकुर,सन्नी सिंह,राजवीर सिंह,अमृतपाल सिंह,सिद्धार्थ सिंह,रौनक सिंह,तुषार आहूजा,रंजीत कौर,जसमीत कौर, रिंकी कौर, लता कौर,जसवीर कौर,अमरजीत कौर आदि मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर

   

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