
जोधपुर, 08 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर जिले के मेड़ता तहसील निवासी सुशील कुमार की रिट याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए ग्राम विकास अधिकारी को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम 1958 के नियम 16 के तहत दिए गए आरोप पत्रों पर रोक लगाई।
सुशील कुमार वर्तमान में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर ग्राम पंचायत डाबरियानी कला तहसील मेड़ता जिला नागौर में कार्यरत है। उसको विकास अधिकारी पंचायत समिति मेड़ता द्वारा गत तीन मार्च को दो आरोप पत्र इस बाबत दिए कि उसके द्वारा अपने कत्र्तव्यों के प्रति लापरवाही बरती गई है। अत: उसे राजस्थान सिविल सेवा (अपील वर्गीकरण, नियत्रंण) नियम 1958 के नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किया जाता हैं। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से एक रिट याचिका प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता का यह तर्क था कि प्रार्थी ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत है तथा इस पद पर उसकी नियुक्ति जिला परिषद मेड़ता द्वारा की गई है ना कि विकास अधिकारी द्वारा। इसलिए इसके नियोक्ता अथवा समक्ष अधिकारी जिला परिषद मेड़ता है ना कि विकास अधिकारी मेड़ता। इसके बावजूद नियम 16 के तहत विकास अधिकारी द्वारा आरोप पत्र जारी कर दिया गया जो नियम विरूद्ध है क्योंकि नियमानुसार नियम 16 के तहत आरोप पत्र नियुक्ति अधिकारी ही प्रदान कर सकता है न की उससे निम्न अधिकारी। वर्तमान प्रकरण में विकास अधिकारी द्वारा नियम 16 के तहत आरोप पत्र जारी किए गए है जो नियुक्ति अधिकारी से निम्न अधिकारी द्वारा जारी किए गए है। सुनवाई के बाद न्यायाधीश दिनेश मेहता ने प्रार्थी को विकास अधिकारी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (अपील, वर्गीकरण व नियत्रंण) नियम 1958 के नियम 16 के तहत तीन मार्च को दी गई दोनों चार्ज शीट (आरोप पत्र) पर रोक लगाते हुए विभाग से जबाब तलब किया।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश