हिन्दी मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची सम्वाहक, सम्प्रेषक और परिचायक : प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल

प्रयागराज, 14 सितम्बर (हि.स.)। हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची सम्वाहक, सम्प्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिन्दी विश्व की वैज्ञानिक भाषा है। जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

उक्त विचार हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. शिवप्रसाद शुक्ल ने ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज गंगापुरी रसूलाबाद में हिन्दी दिवस के अवसर पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज 14 सितम्बर को देश हिन्दी दिवस मना रहा है। हिन्दी अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के दिलों की दूरियों की मिटाती है। हिन्दी के बढ़ावा देने के लिहाज से हिन्दी दिवस का महत्वपूर्ण स्थान है।

दरअसल, 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। ऐसे में हिन्दी को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने यह दिन हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाना तय किया। हिन्दी भाषा भारत के अलग अलग राज्यों के अलग-अलग धर्मों, जातियों, संस्कृति, वेशभूषा व खान-पान वाले लोगों को एकता के सूत्र में बांधती है। देश को एक रखती है। इतना ही नहीं हिन्दी विदेशों में बसे भारतीयों को आपस में जोड़ने का काम भी करती है।

इस अवसर पर भैया आदित्य सिंह व बहिन पलक कुशवाहा एवं आचार्या सविता त्रिपाठी ने हिन्दी दिवस पर अपने विचार रखे। साथ ही निबंध प्रतियोगिता में स्थान प्राप्त भैया-बहनों को पुरस्कार भी वितरित किया गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य युगल किशोर मिश्र ने हिन्दी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं देते हुए सफल कार्यक्रम हेतु आशीर्वचन प्रदान किया।

विद्यालय के मीडिया प्रभारी दीपक मिश्र ने बताया कि इस दौरान कार्यक्रम प्रमुख आचार्य जनार्दन प्रसाद दूबे एवं लक्ष्मीनारायण शुक्ल भी उपस्थित रहे। संचालन आचार्या रीता विश्वकर्मा तथा आभार ज्ञापन विद्यालय की आचार्या बेबिका राय द्वारा किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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