साक्षात्कार: मेरे लिए किरदारों में विविधता ही असली संतुलन और रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत : तृप्ति डिमरी
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- Jul 21, 2025
बॉलीवुड की टैलेंटेड और खूबसूरत अदाकारा तृप्ति डिमरी हाल ही में फिल्म 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' में राजकुमार राव के साथ नज़र आई थीं। अब वह एक नई और भावनात्मक प्रेम कहानी के साथ वापसी कर रही हैं। उनकी अगली फिल्म 'धड़क-2' है, जिसमें वह सिद्धांत चतुर्वेदी के साथ रोमांस करती नजर आएंगी। यह फिल्म 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ, जिसमें एक गहरी प्रेम कहानी के साथ-साथ जातिवाद जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे को भी प्रमुखता से दिखाया गया है। ट्रेलर को काफी सराहना मिली है और फिल्म को लेकर दर्शकों में उत्साह बना हुआ है।
तृप्ति डिमरी ने हाल ही में 'हिन्दुस्थान समाचार' से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपने करियर, इस फिल्म में निभाए गए किरदार और निजी जीवन में काम और संतुलन के तालमेल पर खुलकर बात की। इस बातचीत में तृप्ति ने फिल्म से जुड़ी कई दिलचस्प बातें शेयर कीं।
Q: अपने शानदार कमबैक पर क्या कहना चाहेंगी?
मुझे यह देखकर बेहद खुशी होती है कि दर्शकों ने मुझ पर इतना विश्वास जताया है। जब 'धड़क-2' का ट्रेलर रिलीज़ हुआ, तो मैं खुद भी उसे बार-बार देख रही थी और कमेंट्स पढ़कर भावुक हो रही थी। एक अभिनेता के तौर पर जब लोग आपके काम को सराहते हैं, तो वही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। हम कलाकारों का मुख्य उद्देश्य ही लोगों का मनोरंजन करना है और जब हमारा काम उनके दिलों को छूता है, तो हमें भी यह समझने का मौका मिलता है कि दर्शकों को क्या पसंद आ रहा है और क्या नहीं। इससे हमें अपने अभिनय को और बेहतर बनाने की प्रेरणा मिलती है। मैंने अब तक जो भी फिल्में की हैं, उन सभी पर मुझे गर्व है। हर प्रोजेक्ट को चुनते समय मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं उसमें अपना 100 प्रतिशत दूं और वह कहानी कुछ नया कहे। मेरे लिए यह बहुत जरूरी है कि मैं हर बार एक अलग किरदार निभाऊं, वरना एक जैसी भूमिकाएं करके मैं खुद ही बोर हो जाऊंगी। मैं कभी भी अपनी जिंदगी में उस मुकाम पर नहीं पहुंचना चाहती, जहां मुझे लगे कि अभिनय अब मुझे उत्साहित नहीं कर रहा। 'धड़क-2' के बाद अगली फिल्म इससे काफी अलग होगी, क्योंकि मेरे लिए किरदारों में विविधता ही असली संतुलन और रचनात्मक ऊर्जा का स्रोत है।
Q: क्या आपको इस फिल्म ने झकझोरा या चुनौती दी?
जी बिल्कुल, ये फिल्म मेरे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रही, क्योंकि जब मैंने इसकी स्क्रिप्ट पढ़ी, तभी समझ आ गया था कि ये कहानी बहुत कुछ मांगती है। जब हम किसी गंभीर प्रेम कहानी या सामाजिक संदेश देने वाली फिल्म पर काम करते हैं, तो ये हमारी जिम्मेदारी होती है कि उसे पूरी ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभाएं। आज की ऑडियंस बहुत समझदार है, अगर आप अपने काम में सच्चाई नहीं रखेंगे तो दर्शक तुरंत पकड़ लेते हैं। इसलिए शुरू से ही हमारी कोशिश रही कि हम हर सीन को पूरी मेहनत, लगन और फोकस के साथ निभाएं, ताकि हमारी एक्टिंग रियल लगे, बनावटी नहीं। कई बार तो ऐसे सीन भी आए जिन्हें करते वक्त भावनात्मक रूप से टूटना पड़ता था, कैमरे के सामने रोना पड़ता था, और इन सबका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे में हमारे डायरेक्टर बहुत सपोर्टिव रहे, जब भी उन्हें लगता कि मैं इमोशनली थोड़ा ज्यादा डूब गई हूं, तो वे मुझे संभाल लेती थे। मैं मानती हूं कि जब तक आप भीतर से अच्छा महसूस नहीं करते, तब तक आप पर्दे पर अच्छा परफॉर्म नहीं कर सकते। इसलिए हमारे लिए शूटिंग के दौरान खुश रहना, संतुलन बनाए रखना बहुत ज़रूरी था। यह किरदार निभाना कठिन था, लेकिन हमने इसकी हर एक प्रक्रिया को दिल से जिया और एंजॉय भी किया।
Q: क्या ये फिल्म लोगों की सोच में बदलाव लाएगी ?
जी हां, समाज में किसी भी तरह का बदलाव हमेशा ज्ञान और समझ से ही आता है। जब तक किसी को सही और गलत का फर्क नहीं पता होगा, वो बदलाव की दिशा में कदम कैसे उठाएगा? अगर हमारी फिल्म के जरिए हम लोगों की सोच में थोड़ी भी जागरूकता ला सकें, तो यही हमारी सबसे बड़ी सफलता होगी। हो सकता है कि आप और हम जातिवाद में विश्वास न रखते हों, लेकिन यह एक सच्चाई है कि आज भी हमारे समाज में यह बुरी तरह से मौजूद है। अगर हमारी कहानी उन लोगों तक पहुंचे जो अब भी इस सोच को मानते हैं, और उन्हें ये अहसास हो कि ये रवैया गलत है, तो बदलाव की एक मजबूत शुरुआत हो सकती है। जरूरी नहीं कि हर कोई फिल्म देखकर तुरंत बदल जाए, लेकिन अगर उनके अंदर एक सवाल उठे, एक झिझक पैदा हो कि शायद वे कुछ गलत कर रहे हैं , तो वो भी एक बड़ी बात है। मुझे यकीन है कि जिस ईमानदारी और सच्चाई से हमने इस विषय को पर्दे पर उतारा है, वो जरूर लोगों के दिलों तक पहुंचेगी और सोच में बदलाव का रास्ता खोलेगी।
Q: क्या जीवन में वर्क-लाइफ बैलेंस का होना जरूरी है ?
बिल्कुल सही कहा आपने, सिर्फ एक्टिंग ही नहीं, बल्कि हर पेशे में वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखना बेहद जरूरी है। मैं भी यही कोशिश करती हूं कि प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच सही तालमेल बना रहे। जब भी शूटिंग से थोड़ी फुर्सत मिलती है, मैं इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताने की कोशिश करती हूं। उनके साथ समय बिताना मेरे लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि वहीं से मुझे असली खुशी और सुकून मिलता है। इसके अलावा, मुझे टेनिस खेलना और पेंटिंग करना बहुत पसंद है, तो मैं उन चीजों के लिए भी समय जरूर निकालती हूं। ये सारे शौक मुझे मानसिक रूप से शांत और संतुलित रखने में मदद करते हैं। आखिरकार, हम सभी इंसान हैं और अगर हम लगातार एक ही चीज करते रहेंगे, तो थकावट और ऊबना स्वाभाविक है। इसीलिए मैं मानती हूं कि समय-समय पर हमें अपने रूटीन को तोड़कर खुद को रिफ्रेश करना भी उतना ही जरूरी है।---------------------------------
हिन्दुस्थान समाचार / लोकेश चंद्र दुबे



