प्राकृतिक संपदा पर अवैध कब्जों से पर्यावरण संकट में, डॉ प्रशांत का सीएम को पत्र

मुंबई,26 नवंबर ( हि.स.) । राज्य में सरकारी और जंगल की ज़मीन पर बढ़ते अतिक्रमण से प्रकृति खतरे में है, वहीं “यह ज़मीन आने वाली पीढ़ियों की है… इस पर गैर-कानूनी कब्ज़ा नहीं होना चाहिए,” पर्यावरणविद डॉ. प्रशांत रेखा रवींद्र सिनकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से तुरंत दखल देने की मांग करते हुए लिखा है कि राज्य की प्राकृतिक संपदा पर अवैध कब्जों की वजह से पर्यावरण पर लगातार संकट मंडरा रहा है।

बताया जाता है कि राज्य में अलग-अलग जगहों पर नकली कागज़ात, मिलीभगत, दबाव और बिना इजाज़त के कंस्ट्रक्शन के ज़रिए सरकारी ज़मीनों पर गैर-कानूनी कब्ज़ा बढ़ गया है। उन्होंने बयान में अफ़सोस जताया है कि इन अतिक्रमणों का सबसे ज़्यादा असर प्रकृति और सीधे आम नागरिकों के भविष्य पर पड़ रहा है।

डॉ प्रशांत सिनकर का कहना है कि पहाड़ियों, खाड़ियों, नालों, पानी की जगहों, घास के मैदानों और सेंसिटिव जंगल के इलाकों में बढ़ते अतिक्रमण की वजह से जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक घर खत्म हो रहे हैं। ग्राउंडवॉटर लेवल तेज़ी से गिर रहा है, गर्मियों में बहुत ज़्यादा तापमान, मॉनसून में बाढ़, बढ़ता प्रदूषण… ये सभी संकट इंसानों की बनाई हुई वजहें हैं, उन्होंने कहा है।

बयान में सबसे चिंताजनक मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा। “अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाना नागरिकों के लिए खतरनाक हो गया है। राजनीतिक दबाव, धमकियों और परेशानी के डर से कोई भी अपना मुंह नहीं खोल सकता।”

डॉ. सिनकर ने मुख्यमंत्री फडणवीस से अपनी विनम्र रिक्वेस्ट में ये पांच जरूरी कदम सुझाए हैं:

1. पूरे राज्य में स्पेशल जांच अभियान

2. पर्यावरण संरक्षण के लिए हाई-लेवल कमेटी

3. शिकायत करने वालों की सुरक्षा

4. नेचर रेस्टोरेशन स्कीम

5. रेवेन्यू रिकॉर्ड में हेराफेरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई

यह सख्त संदेश देते हुए कि “सरकारी जमीन सुरक्षित रहेगी, तभी महाराष्ट्र के जंगल, पानी के संसाधन और पर्यावरण बचेंगे”, डॉ. सिनकर ने मुख्यमंत्री से तुरंत दखल की सच्ची उम्मीद जताई है।

डॉ प्रशांत सिनकर ने विनम्रता पूर्वक राज्य के मुख्य मंत्री से आग्रह किया है कि सरकारी जमीन महाराष्ट्र की सांस है। अगर अतिक्रमण नहीं रोका गया, तो प्रकृति खुद खत्म हो जाएगी। सरकार को तुरंत और सख्त कदम उठाने चाहिए—यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत आवाज नहीं है, बल्कि पूरे राज्य की आवाज है।”

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा

   

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