संतों के वचनों को अपने जीवन में उतारें—सहकारिता मंत्री गौतम दत्त

अजमेर, 24 अप्रेल(हि.स.)। धर्म, संस्कृति और अध्यात्म की त्रिवेणी बना अजमेर का श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र, जहाँ जैसवाल जैन समाज के तत्वावधान में आयोजित पंचकल्याणक महा महोत्सव का पांचवां दिन ज्ञान कल्याणक के रूप में बड़े हर्ष और उल्लास से मनाया गया। देश और विदेश से हजारों श्रद्धालु इस आयोजन का हिस्सा बने और भगवान के ज्ञान कल्याणक के दिव्य क्षणों के साक्षी बने।

पांच दिवसीय पंचकल्याणक महा महोत्सव के इस विशेष दिन की शुरुआत प्रातःकाल भगवान के जल अभिषेक से हुई। मंत्रोच्चारण और भक्ति की रसधारा के बीच जब भगवान का अभिषेक हुआ, तो सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया। इसके पश्चात विविध पूजा-अर्चनाएं की गईं, जिनमें श्रावकों ने पूरे मनोयोग से भाग लिया।

ज्ञान कल्याणक का महत्व और आचार्य वसुनंदी जी महाराज का प्रवचन

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे जैनाचार्य वसुनंदी जी महाराज के मंगल प्रवचन। उन्होंने ज्ञान कल्याणक के महत्व को विस्तार से समझाते हुए कहा कि यह वह दिव्य क्षण होता है जब तीर्थंकर को केवलज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे वह समस्त जीवों के कल्याण हेतु उपदेश देने योग्य बनते हैं। उन्होंने भगवान के जन्म से लेकर ज्ञान प्राप्ति तक की सम्पूर्ण आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन किया और समाज को धर्म और संयम की राह पर चलने का आह्वान किया।

गणमान्य अतिथियों का आगमन, भामाशाहों का सम्मान

इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में राजस्थान सरकार के सहकारिता मंत्री गौतम दत्त कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके साथ अजमेर सरस डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी और जैन समाज के प्रमुख भामाशाह अशोक पाटनी भी उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने आचार्य वसुनंदी जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया और आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

गौतम दत्त ने अपने उद्बोधन में कहा, हम सबका परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति हो, और यह तभी संभव है जब हम संतों के वचनों को अपने जीवन में उतारें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष उल्लेख करते हुए कहा, प्रधानमंत्री मोदी जैन न होते हुए भी नवकार दिवस पर जैन समाज के कार्यक्रम में भाग लेकर इस परंपरा के महत्व को दर्शा चुके हैं। उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए इस आयोजन को आध्यात्मिक चेतना का जागरण बताया।

आचार्य की विनम्र माँग : तीर्थ क्षेत्र को मिले 'जैन नगर' का दर्जा

इस अवसर पर आचार्य वसुनंदी जी महाराज ने मंत्री गौतम दत्त के समक्ष कुछ महत्वपूर्ण मांगें भी रखीं। उन्होंने आग्रह किया कि इस तीर्थ क्षेत्र को जैन नगर नाम दिया जाए और अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा इस क्षेत्र में जैन नगर के बोर्ड लगाए जाएं। इसके अतिरिक्त उन्होंने मांग रखी कि तीर्थ क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में शराब और मांस की कोई दुकान संचालित न हो।

इस पर मंत्री दत्त ने विश्वास दिलाया कि वह इन सभी प्रस्तावों को राज्य सरकार के समक्ष रखेंगे और इनके क्रियान्वयन का हरसंभव प्रयास करेंगे। समाज के श्रद्धालुओं ने इस पहल का समर्थन करते हुए वातावरण को तालियों की गूंज से भर दिया।

आचार चर्या का आयोजन : संयम और श्रद्धा का संगम

इसके पश्चात जैन समाज की परंपरा के अनुसार महामुनि की आहार चर्या का आयोजन किया गया। इसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और आचार चर्या के विशेष नियमों का पालन करते हुए आहार दान किया। आहार देने से पूर्व श्रावकों को जीवन भर जमीन के नीचे उगने वाले फल-सब्जियों का त्याग करना पड़ा, साथ ही रात्रि भोजन का पूर्ण परित्याग करना पड़ा। इस संयम के बिना आहार दान संभव नहीं था, जिससे आयोजन की पवित्रता और भी बढ़ गई।

श्री समवशरण की सजावट और पूजा : भक्ति का अद्वितीय दृश्य

ज्ञान कल्याणक दिवस की अगली कड़ी में भगवान के समवशरण की दिव्य सजावट की गई, जिसमें सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। समवशरण में भगवान की पूजा अर्चना और मंगल स्तुति के साथ भक्ति की लहर पूरे परिसर में फैल गई।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

   

सम्बंधित खबर