भारत को कार्यबल को बदलने के लिए अनौपचारिक कौशल को मान्यता देनी चाहिए: जयंत चौधरी

भविष्य के लिए कौशल: भारत के कार्यबल परिदृश्य को बदलना रिपोर्ट का किया अनावरण

नई दिल्ली, 27 जून (हि.स)। केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि कौशल विकास को केवल आपूर्ति से संबंधित उपाय के रूप में नहीं, बल्कि इसे मांग द्वारा प्रेरित, बाजार की आकांक्षाओं के अनुरूप और परिणाम पर आधारित एक ऐसे इकोसिस्टम के रूप में देखा जाना चाहिए, जो उद्योग जगत और श्रमशक्ति की उभरती जरूरतों को पूरा करता है। उन्‍होंने कहा कि भारत को कार्यबल को बदलने के लिए अनौपचारिक कौशल को मान्यता देनी चाहिए।

जयंत चौधरी ने नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट फॉर प्रतिस्पर्धा (आईएफसी) द्वारा तैयार भविष्य के लिए कौशल: ट्रांसफॉर्मिंग इंडियाज वर्कफोर्स लैंडस्केप शीर्षक एक रिपोर्ट के अनावरण के अवसर पर यह बात कही। चौधरी ने इस पहल की सराहना की और कहा कि इस तरह की अकादमिक कवायदें सरकारी पहलों को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। उन्‍होंने यह भी सुझाव दिया कि एक सुदृढ़ रोजगार योग्यता सूचकांक, उभरते आर्थिक एवं तकनीकी परिवेश में युवाओं की रोजगार संबंधी संभावनाओं पर शिक्षा और कौशल विकास के प्रभावों की निगरानी करने में सहायक साबित होगा।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा कि सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट भारत में कौशल संबंधी परिदृश्य का एक विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें शैक्षिक उपलब्धियों, पेशेगत वितरण और श्रमशक्ति की तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण (टीवीईटी) संबंधी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया ग है। मंत्रालय के मुताबिक प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (आईएफसी) द्वारा तैयार की गई ये रिपोर्ट एक स्वतंत्र प्रयास है। रिपोर्ट का लिंक: https://www.competitiveness.in/wp-content/uploads/2025/06/Report_Skill_Roadmap_Final_Compressed.pdf

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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