बिहार में सारण जिले की बनी पारंपरिक मौड़ी से निभाई जाती है वैवाहिक रस्में

दुकानसजावटी मालासिंधौरागोटेदार  मालाबाजारबाजारपारंपरिक मौड़ी

सारण, 21 नवंबर (हि.स.)। देवोत्थान एकादशी के साथ ही देश भर में विवाह का शुभ मुहूर्त शुरू हो चुका है और इस मंगल अवसर पर सारण जिले के बाजारों की रौनक देखते ही बन रही है। विवाह एक सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं बल्कि दो परिवारों और हमारी संस्कृति का समागम है।

इन पारंपरिक विवाह समारोहों को पूर्णता प्रदान करने वाली वस्तुओं की मांग इस समय चरम पर है। बाजार में सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली वस्तुएं वर-वधू के मुकुट और मौड़ी। मौड़ी, मुकुटों पर विशेष प्रकार की छपरा में बनी कलाकृतंयाँ और चमकीली सजावट दूल्हे के आकर्षण को बढ़ा देती हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर सजावटी कलश या लोटे जो पूजा और विभिन्न रस्मों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि कलश स्थापना या पैर पूजने की रस्म।

लाल और सुनहरे रंग की कृत्रिम फूलों की मालाएँ ग्राहकों के लिए बाजारों में उपलब्ध , जिनकी चमक और भव्यता असली फूलों का आभास कराती हैं। इसके अलावा, गोटे और चमकीली लड़ियों से बनी सुनहरी लटकनें माडो और मंडप की सजावट के लिए बाजारों उपलब्ध है जो शुभता का प्रतीक मानी जाती हैं। बाजार में हस्तकला के नमूने भी खूब दिख रहे थे। बांस या बेंत की रंग-बिरंगी टोकरियाँ और डाला जिन्हें स्थानीय कारीगरों ने बनाया है, पूजन सामग्री और उपहारों को रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन पर लगे पीले और गुलाबी रंग के कागज़ के फूल इसे और मनमोहक बना रहे थे।

इसके साथ ही, सिंदूर रखने के विशेष डिब्बे सिंधौरा भी बड़ी संख्या में सजे थे, जो सुहाग की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है। छपरा के हृदयस्थली कहे जाने वाले साहबगंज सोनार पट्टी के दुकानदार पिंकु सिंह बताया की इस साल पारंपरिक वस्तुओं की मांग बढ़ी है। लोग अपनी जड़ों से जुड़ी रस्मों को अधिक महत्त्व दे रहे हैं, इसलिए मुकुट, कलश और विशेष दूल्हे की पगड़ियाँ खूब बिक रही हैं। यह बाजार न केवल एक व्यापारिक केंद्र है, बल्कि यह हमारी उस समृद्ध संस्कृति का दर्पण भी है जो विवाह जैसे पवित्र बंधन को परंपरा और भव्यता से सजाती है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार

   

सम्बंधित खबर