जेकेआरसीईए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एससी, एसटी और ओबीसी मुद्दों से निपटने के सरकारी तरीके की आलोचना की

जम्मू, 14 अगस्त (हि.स.)। जम्मू और कश्मीर आरक्षित श्रेणी कर्मचारी संघ, जेकेआरसीईए ने एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के साथ किए गए व्यवहार के लिए केंद्र और जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश (जेकेयूटी) दोनों सरकारों की तीखी आलोचना। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन पर इन समुदायों के संवैधानिक अधिकारों और लाभों को कम करने का आरोप लगाया।

जेकेआरसीईए नेताओं ने आरक्षण अधिकारों के हनन, निजीकरण प्रयासों में एससी/एसटी/ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी और पदोन्नति में आरक्षण की मांगों को संबोधित करने और कल्याणकारी योजनाओं के उचित कार्यान्वयन में विफलताओं का हवाला देते हुए सरकार की नीतियों की निंदा की। उन्होंने दावा किए गए सरकारी लाभों पर श्वेत पत्र की कमी पर भी अफसोस जताया।

जेकेआरसीईए के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. जीएल थापा ने आरोप लगाया कि एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों की मांगों की अनदेखी की जा रही है और स्थापित अधिकारों को कम करके उन्हें कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने सीधी भर्ती रोस्टर में हाल ही में किए गए बदलावों की भी आलोचना की जिसके बारे में उनका दावा है कि इससे अनुसूचित जातियों को पद और पदोन्नति पाने में नुकसान होगा।

कार्यकारी महासचिव मोहिंदर भगत ने भाजपा के अधूरे वादों पर प्रकाश डाला जैसे कि उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह और मंडल आयोग की रिपोर्ट से संबंधित वादे। उन्होंने पदोन्नति में आरक्षण लागू करने में देरी और अनुसूचित जाति पीएससी सदस्य के खाली पद की आलोचना की। शाम बासन ने मौजूदा एलजी प्रशासन और केंद्र सरकार पर एससी/एसटी/ओबीसी समुदायों को न्याय देने में विफल रहने का आरोप लगाया और एससी/एसटी/ओबीसी विरोधी नीतियों के जारी रहने पर राजनीतिक नतीजों की चेतावनी दी। नेताओं ने एससी/एसटी के बीच उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर प्रावधानों का विरोध करते हुए 21 अगस्त को भारत बंद के आह्वान का भी समर्थन किया।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा / बलवान सिंह

   

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