हिंदी की समृद्धि में प्रकाशदीप बनी पत्रकारिता .......

हिंदी की समृद्धि में  प्रकाशदीप बनी पत्रकारिता 
चंडीगढ़ 13 सितंबर । भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के सलाहकार प्रो. राजेश कुमार  शर्मा ने हिंदी भाषा की उत्पत्ति व संवैधानिक स्थिति पर विचार करते हुए बताया कि देश में  हिंदी को समृद्ध करने में  हिंदी पत्रकारिता प्रकाशदीप की भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि हिंदी ने देश को एकता के सूत्र में बांधने में निर्णायक भूमिका निभाई है।
पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने हिंदी दिवस समारोह की श्रृंखला में आयोजित कार्यक्रम में हिंदी के प्रचार-प्रसार में हिंदी पत्रकारिता की भूमिका पर मंथन किया। इस मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो अशोक कुमार ने कहा कि आजादी मिलने के दो वर्ष बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया । कालांतर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के आग्रह पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस मनाने का निर्णय किया गया। इसी कड़ी में पंजाब विश्वविद्लाय चंडीगढ़ ने ’वर्तमान में हिंदी पत्रकारिता’ पर संगोष्ठी का आयोजन किया। विभाग्याध्क्ष ने सारस्वत अतिथि प्रो. राजेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार अरुण नैथानी तथा पूटा उपाध्यक्ष डॉ. सुरुचि आदित्य का स्वागत किया।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अरुण नैथानी ने देश की आजादी के आंदोलन में एक पत्रकार के रूप में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, डॉ बी.आर.अंबेडकर, मदन मोहन मालवीय व भारतेंदु हरिश्चंद्र के योगदान तथा हिंदी के उत्थान का उल्लेख किया गया। साथ ही वक्ताओं ने खबर की प्रामाणिकता, मौलिकता की जांच, प्रिन्ट मीडिया की विश्वनीयता, सोशल मीडिया की चुनौतियों आदि  पत्रकारिता के उन मुख्य बिन्दुओँ का उल्लेख किया, जो भारत के भविष्य को प्रभावित करते हैं।  उन्होंने सोशल मीडिया के दुष्परिणामों के प्रति भी चिंता व्यक्त की। डॉ. सुरुचि आदित्य ने हिंदी भाषा के महत्व का उल्लेख करते हुए समाज में जागरूकता लाने में पत्रकारिता की भूमिका जिक्र किया।
कार्यक्रम में विभाग के शोधार्थियों मधु कुमारी, रीना बिष्ट, बोबिजा तथा विद्यार्थियों अनुज कुमार, नारायण भदौरिया ने हिंदी भाषा से जुड़े विषयों पर कविताएं तथा विचार प्रस्तुत किए।  विभागाध्य प्रो.अशोक कुमार ने  हिंदी पखवाड़े के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

   

सम्बंधित खबर