पश्चिम चंपारण , 20 नवम्बर (हि.स.)। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र में आतंक का पर्याय बने नेपाल से आए मेहमान हाथियों के झुण्ड का वापस नेपाल की सीमा में प्रवेश करने की सूचना है। हाथी के वापस नेपाल चले जाने की खबर से वन विभाग एवं लोगों ने राहत की सांस ली है। बीते दिन से नेपाली हाथियों का झुंड वाल्मीकि नगर वन कक्ष सांख्य टी 1 वन क्षेत्र के गुल्लर घाट, वाल्मीकि आश्रम, एसएसबी बी कैंप वन क्षेत्र में चहलकदमी कर रहा था। जिससे वन क्षेत्र के अधिकारियों और कर्मियों की नींद उड़ गई थी ।कारण की स्वभाव से आक्रामक और गुस्सैले होने के कारण यह हाथी नुकसान पहुंचाने से गुरेज नहीं करते हैं।
बिहार के एकमात्र टाइगर रिजर्व में इन दिनों भोजन की तलाश में आए आधा दर्जन नेपाली हाथी अब वापस नेपाल की तरफ कूच कर गए हैं। हाथियों के पगमार्क के मुताबिक ऐसा वन विभाग का मानना है। जानकारों की माने तो नेपाली क्षेत्र में हाथियों के भोजन में कमी होने के चलते ही हाथी वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना की सीमा में प्रायः प्रवेश कर जाते हैं और कुछ दिनो तक चहलकदमी करने के पश्चात नेपाल वापस भी चले जाते हैं। नेपाल के चितवन नेशनल पार्क( राष्ट्रीय निकुंज) की खुली सीमा वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना से मिली जुली है। समानांतर घना जंगल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था नेपाल के हाथियों को खूब भाता है।
जानकारी हो ,कि यह भारत और नेपाल की सीमाओं से लगे विशाल वन क्षेत्र में फैला है। यह बिहार का एक मात्र सबसे बड़ा समृद्ध और जैव विविधता वाला क्षेत्र है। ज्ञात हो कि वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना का जंगल विशेष रुप से बाघों के लिए प्रसिद्ध है। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध माना जाता है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से इस जैव विविधता को भारतीय संपदा और अमूल्य पारस्थिति के धरोहर के तौर पर माना जाता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द नाथ तिवारी