
ज्योतिर्मठ, 22अप्रैल (हि.स.)। भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने से पूर्व की मान्य धार्मिक परंपराओं मे ज्योतिर्मठ के नृसिंह मंदिर मठागण मे तिमुण्डा मेले के साथ ही गरुड़छाड़ उत्सव की प्राचीन परंपरा रही है, जिसका निर्वहन देवपुजाई समिति ज्योतिर्मठ-जोशीमठ द्वारा अनवरत किया जाता है।
तिमुण्डा बीर के पश्वा के निधन के कारण इस वर्ष तिमुण्डा मेले का आयोजन तो नहीं होगा लेकिन देवपुजाई समिति के तत्वाधान मे सूक्ष्म रूप से तिमुण्डा बीर मंदिर मे पूजा होगी, अगले वर्ष तिमुण्डा के नए पश्वा अवतरित होने पर तिमुण्डा मेले का आयोजन होगा।
प्राचीन धार्मिक परंपरा अनुसार इस वर्ष गरुड़छाड़ उत्सव आगामी 01मई को होगा, श्री बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल जी की मौजूदगी मे आयोजित गरुड़छाड़ उत्सव का यही सन्देश होता है कि भगवान श्री हरिनारायण अपने वाहन गरुड़ पे सवार होकर भू-वैकुंठ धाम श्री बद्रीनाथ के लिए प्रस्थान कर रहे हैं, जहाँ वे ग्रीष्मकाल के छः माह भक्तों को दर्शन देंगें। गरुड़छाड़ उत्सव के अगले ही दिन मुख्य पुजारी रावल आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी व विष्णु वाहन गरुड़ के साथ प्रथम पड़ाव पाण्डुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगें।
ज्योतिर्मठ नगर मे धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने वाली संस्था देव पुजाई समिति जोशीमठ के अध्यक्ष अनिल नम्बूरी की अध्यक्षता आयोजित हुई बैठक मे गरुड़छाड़ उत्सव की तैयारियों को लेकर समीक्षा हुई। इस बैठक मे श्री नृसिंह-नव दुर्गा सेवा समिति के अध्यक्ष/निवर्तमान धर्माधिकारी आचार्य भुवन चन्द्र उनियाल, रेँकवाल पंचायत के अध्यक्ष अनूप पंवार व देवपुजाई समिति के पूर्व अध्यक्ष भगवती प्रसाद नंबूरी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रकाश कपरुवाण