अवैध वसूली के लिए न्यायालय की अवहेलना कर रहे केडीए अधिकारी
- Admin Admin
- Jan 09, 2025
— पीड़ित के सहयोगियों ने पत्रकार वार्ता कर लगाया वसूली का आरोप
— न्यायालय के साथ अपने ही नियमों को ताक पर रख रहे केडीए अधिकारी
कानपुर, 09 जनवरी (हि.स.)। शासन के निर्देश पर कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) इन दिनों अवैध अतिक्रमण अभियान चला रहा है। यह अभियान कुछ अधिकारियों के लिए अवैध वसूली का धंधा भी बन गया है। यह धंधा उनका खूब फल फूल भी रहा है। डरकर लोग सामने आने से बच रहे हैं लेकिन गुरुवार को एक पीड़ित के सलाहकारों ने पत्रकार वार्ता कर इस धंधे की पोल खोलकर रख दी। उन्होंने बताया कि अवैध वसूली के लिए केडीए के अधिकारी न तो अपना नियम मानते हैं और न ही न्यायालय का आदेश।
हर्ष नगर में पत्रकार वार्ता करते हुए अधिवक्ता पंकज दीक्षित, रमाकांत यादव, विकास शुक्ला और अमित द्विवेदी ने बताया कि कल्याणपुर थाना क्षेत्र के इंदिरा नगर में द्रोपदी देवी का 2400 वर्गगज का भूखण्ड है। इस भूखण्ड को केडीए ने ही आवंटित किया है। आरोप है कि प्लाट के सामने रहने वाला महेश कटियार जो केडीए से सेवानिवृत्त है, वह प्लाट पर गलत नीयत रखता है। उसने केडीए के अधिकारियों के नाम पर 50 लाख रुपये की अवैध वसूली मांगी और कहा नहीं दिया तो केडीए से भूखण्ड को निरस्त करा दिया जाएगा। उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो तीन सितम्बर 2024 को केडीए के अधिकारियों ने जेसीबी के जरिये प्लाट की बाउण्ड्री को ध्वस्त कर दिया। इस पर डरकर महेश को पांच लाख रुपये दे दिये गये और सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय कानपुर में भी वाद दायर कर दिया गया। न्यायालय ने 16 दिसंबर 2024 को केडीए को आदेशित किया कि वादी के कब्जा दखल में हस्तक्षेप न करें। इसके बाद 45 लाख रुपये की फिर मांग की गई और न देने पर आठ जनवरी 2025 को केडीए का प्रवर्तन दस्ता जेसीबी लेकर पहुंचा और दोबारा बनी चहारदीवारी को गिराने लगे। इस दौरान प्रवर्तन टीम में एई संदीप मोदनवाल, जेई कैलाश सिंह और जनार्दन सिंह शामिल रहे। इस दौरान चहारदीवारी गिराने का विरोध किया गया और डायल 112 किया गया क्योंकि हमारे पास न्यायालय का आदेश था। इस पर मौके पर पहुंची पुलिस के सामने केडीए के उपरोक्त अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के न्यायालय के आदेश हम नहीं मानते। न्यायालय के आदेश के साथ जब अधिकारियों से कहा गया कि केडीए की नियमावली में है कि बाउण्ड्रीवॉल अवैध निर्माण नहीं है और इसके लिए नक्शा का अनुमोदन जरूरी नहीं है तो झल्लाते हुए कहा गया कि अब देखते हैं कि आप लोग कैसे भूखण्ड को बचा पाते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह