नवजात एवं बाल स्वास्थ्य प्रदेश सरकार की प्राथमिकता: पार्थ सारथी सेन शर्मा

लखनऊ, 25 नवंबर (हि.स.)। प्रदेश में नवजात शिशुओं की बेहतर देखभाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारियों के क्षमता वर्धन हेतु ‘ब्रिज कोर्स’ का शुभारंभ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से सोमवार को किया गया। कोर्स के शुभारंभ के साथ प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का भी आयोजन सोमवार को किया गया। ब्रिज कोर्स किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय(केजीएमयू) के पीडीऐट्रिक विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से बनाया गया है।

प्रशिक्षण का उद्घाटन करते हुए, प्रमुख सचिव स्वास्थ एवं परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा, “नवजात एवं बाल स्वास्थ्य प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। एमबीबीएस स्वास्थ्य अधिकारियों के क्षमता वर्धन हेतु ब्रिज कॉर्से की परिकल्पना हुई। कोर्स का उद्देश्य एसएनसीयू में तैनात एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारियों को नवजात एवं बाल चिकित्सा एवं बेहतर देखभाल हेतु प्रशिक्षित करना है”।

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 101 एसएनसीयू हैं। ब्रिज कॉर्से की अवधि 12 हफ्ते ही होगी जिसमें 8 हफ्ते न्यूबॉर्न केयर (नवजात) और 4 हफ्ते पीडीऐट्रिक केयर (बाल चिकित्सा) के विषय में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। सोमवार को आयोजित प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण में प्रदेश के 10 मेडिकल कॉलेज के व्याख्याताओं ने प्रतिभाग किया जो एमबीबीएस स्वास्थ्य अधिकारियों का प्रशिक्षण करेंगे।

महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने कहा कि ब्रिज कोर्स एसएनसीयू में तैनात एमबीबीएस स्वास्थ अधिकारियों को नवजात की स्थिति के सही मूल्यांकन एवं उपचार हेतु प्रशिक्षित करेगा। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश प्रमुख के ओआईसी एवं कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. अमित मेहरोत्रा ने सामुदायिक रेफरल को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा की एसएनसीयू के विषय में लोगों की जागरूकता से शिशुओं को सही समय से भर्ती कर उनकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा एसएनसीयू में प्रशिक्षित चिकित्सकों की उपस्थिति से नवजात शिशुओं की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा एवं सतत विकास लक्ष्यों की पूर्ति को भी गति मिलेगी।

केजीएमयू के पीडीऐट्रिक विभाग की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. माला कुमार ने बताया की ब्रिज काेर्स वास्तविक जीवन की क्लीनिकल स्थितियों पर आधारित है। उन्होंने प्रशिक्षकों से कोर्स मॉड्यूल पर प्रतिक्रिया देने को कहा।

यूनिसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. कनुप्रिया सिंघल ने राज्य में नवजात शिशुओं की देखभाल की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिए गत वर्षों में शुरू की गई प्रमुख पहलों पर भी चर्चा की जिसमें पारिवारिक भागीदारी /विकासात्मक सहायक देखभाल की शुरुआत, एसएनसीयू मेंटरिंग को मजबूत करना आदि शामिल है।

प्रशिक्षण में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया जिनमें डॉ. शारदा चौधरी, अतिरिक्त निदेशक, डॉ. नीना वर्मा, संयुक्त निदेशक, डॉ. सूर्यांशु ओझा, जीएम-बाल स्वास्थ्य, एनएचएम, यूपी सरकार एवं यूनिसेफ और यूपीटीएसयू के प्रतिनिधि शामिल थे।

हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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