धर्मशाला में निरंकारी बाल संत समागम का आयोजन

धर्मशाला, 14 सितंबर (हि.स.)। जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला के संत निरंकारी सत्संग भवन दाड़ी में शनिवार को निरंकारी बाल सन्त समागम का आयोजन हुआ। संत समागम में कांगड़ा जिला के विभिन्न स्थानों से आये निरंकारी बाल संतों ने भाग लिया। इस समागम में बाल संतों ने कला की अनेक विधाओं के माध्यम से जीवन में भौतिकता और आध्यामिकता के बीच समन्वय को स्थापित कर बेहतर जीवन जीने का सन्देश दिया।

बाल सन्तों ने स्किट, भजन, समहू गान, एकल गायन तथा भाषण आदि विधाओं के माध्यम से आध्यात्मिकता और सामाजिकता के विभिन्न पहलूओं को उजागर करने का प्रयास किया। साथ ही यह सन्देश देने का प्रयास भी किया कि मनुष्य जीवन को बेहतर ढंग से जीने के लिए सामाजिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता का होना भी आवशयक है। आज के दौर में जहां युवा पीढी स्वयं को जीवन की अनेक चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ समझ रही है, वहीं अध्यात्म की राह उन्हें एक बेहतर जीवन जीने की तरफ प्रेरित कर रही है। बाल संतों ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हुए, बेहतर जीवन जीने का सन्देश भी दिया।

इस संत समागम की अध्यक्षता भोपाल मध्य प्रदेश से आयी बहन कविता असुधानी ने की। उन्होंने साध संगत को सम्बोधित करते हुआ कहा कि, आज के दौर में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज मनुष्य को ईश्वर के साथ जोड़कर, उसे बेहतर जीवन जीने की तरफ प्रेरित कर रहे हैं। अगर मनुष्य का झुकाव बचपन से ही अध्यात्म की तरफ होगा तो, भविष्य में वह जीवन की अनेक चुनौतियों का सामना सहज में ही कर पायेंगे। ऐसी अवस्था में यह बाल सन्त अपने जीवन में जिस भी लक्ष्य को हासिल करना चाहें, उसे बेहतर ढंग से हासिल कर पायेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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