केंद्रीय विश्वविद्यालय को शोध कार्यों के लिए मिली प्रतिष्ठित परियोजना, 10 करोड़ मंजूर
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- Apr 16, 2025

धर्मशाला, 16 अप्रैल (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ के सहयोग से अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की पहल के तहत एक प्रतिष्ठित परियोजना के लिए मंजूरी मिली है। इस परियोजना के मिलने से हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय को 10 करोड़ की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। बुधवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर एसपी बंसल ने यह जानकारी दी।
कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ), भारत सरकार के एक सांविधिक निकाय ने 'त्वरित नवाचार और अनुसंधान के लिए भागीदारी (पीएआईआर) नामक एक नया कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा के उन संस्थानों की शोध क्षमता को बढ़ावा देना है जहां अनुसंधान अभी शुरुआती चरण में है। इसके साथ ही कार्यक्रम के उद्देश्यों में पर्याप्त प्रभाव और परिणाम के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान का समर्थन करना, विविध संस्थानों के बीच सफल और उत्पादक सहयोगी नेटवर्क को बढ़ावा देना तथा संस्थानों की उन्नति को बढ़ावा देना शामिल है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने मूल रूप से 11 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया था जिसके तहत विश्वविद्यालय को 10 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि अनुदान में पांच प्रमुख शोध उपकरणों सहित कई शैक्षणिक और शोध गतिविधियों के लिए वित्त पोषण शामिल है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो. राजेश कुमार, डीन, स्कूल ऑफ फिजिकल एंड मैटेरियल साइंसेज, परियोजना के प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं। सह-प्रमुख अन्वेषकों में तीन अलग-अलग विभागों यानी भौतिकी, रसायन विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के संकाय सदस्य शामिल हैं। इसमें भौतिकी विभाग से डॉ पवन हीरा, डॉ विकास आनंद, डॉ सुरिंदर पॉल, डॉ नूरजहां, डॉ गौरीशंकर साहू शामिल हैं। इसी तरह पर्यावरण विज्ञान से डा. दिलबाग राणा तथा रसायन विभाग से डॉ नीरज गुप्ता शामिल हैं। यह परियोजना तीन प्रमुख फोकस क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए दोनों संस्थानों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देगी। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सामग्री और उपकरण, इंजीनियरिंग से संबंधी उपकरण और ऊर्जा उत्पादन और भंडारण के लिए सामग्री शामिल है।
कुलपति ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह हमारे अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र की बढ़ती ताकत को दर्शाता है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अत्याधुनिक क्षेत्रों में सहयोग और नवाचार के लिए नए रास्ते भी खोलता है। इस परियोजना के तहत स्थापित की जा रही अत्याधुनिक इंस्ट्रूमेंटेशन सुविधा विश्वविद्यालय की अनुसंधान क्षमताओं को काफी बढ़ावा देगी। इसके अलावा यह पहल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत शैक्षणिक सहयोगों को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने बताया कि यह परियोजना सीयू के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी छलांग है। इस मौके पर कुलपति के साथ कुलसचिव प्रो. सुमन शर्मा और अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. प्रदीप कुमार भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया