66वें तिब्बती विद्रोह दिवस पर चीन के खिलाफ सड़कों पर उतरे तिब्बती, मैक्लोडगंज से धर्मशाला तक निकाली रैली

कार्यक्रम के दौरान मौजूद स्कूली बच्चे।

धर्मशाला, 10 मार्च (हि.स.)। 66वें तिब्बती विद्रोह दिवस के मौके पर सोमवार को बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय ने सड़कों पर उतरकर चीन के खिलाफ आवाज बुलंद की। हर वर्ष की भांति इस बार भी विभिन्न तिब्बती संगठनों के सदस्यों सहित आम तिब्बतियों ने मैक्लोडगंज से लेकर धर्मशाला के कचहरी चौक तक रैली निकाली। रैली में बड़ी संख्या में तिब्बती समुदाय ने तिब्बत में चीन द्वारा किये जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर नारेबाजी की। सोमवार को सुबह सबसे पहले मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मठ चुगलाखंग में 66वें तिब्बती विद्रोह दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें स्लोवाकिया और एस्टोनिया देश के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम में स्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति आंद्रेज किस्का बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ स्लोवाकिया तिब्बत सहायता समूह के समन्वयक सबा किस भी मौजूद थे। वहीं एस्टोनियाई संसद के सदस्य माननीय जुकू-काले रेड ने विशेष अतिथि के रूप में एस्टोनिया से आए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जिसमें पूर्व सांसद और तिब्बत सहायता समूह के पूर्व प्रमुख सकारियास जान लेपिक, संसद सदस्य कारमेन जोलर, संसद सदस्य हनाह लाहे, संसद सदस्य जाक वाल्गे, संसद सदस्य एंडो किवीबर्ग, संसद सदस्य रॉय स्ट्राइडर, एस्टोनियाई संसद में तिब्बत सहायता समूह के समन्वयक उर्मो उइबोलेहट, दक्षिण-पूर्व एस्टोनिया में सेटो साम्राज्य के माननीय रीजेंट और एएस एक्सप्रेस समूह के पर्यवेक्षी बोर्ड के अध्यक्ष प्रीत रोहुमा शामिल थे। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के साथ तिब्बत ब्यूरो जिनेवा के प्रतिनिधि थिनले चुक्की भी थे, जिन्होंने परम पावन दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के तिब्बती नेतृत्व से मुलाकात की।

सिक्योंग पेंपा सेरिंग द्वारा तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज फहराने और तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान के कलाकारों द्वारा तिब्बती राष्ट्रगान के गायन के साथ आधिकारिक स्मरणोत्सव शुरू हुआ। इस मौके 10 मार्च 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में प्रदर्शन के दौरान चीन सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले या गंभीर उत्पीड़न झेलने वाले सभी तिब्बती शहीदों को याद किया गया। इस दौरान उनके द्वारा किए गए निस्वार्थ बलिदान को सम्मान देने के लिए एक मिनट का मौन भी रखा गया। इस मौके पर निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग सहित संसद अध्यक्ष ने भी तिब्बती समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / सतिंदर धलारिया

   

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