कन्नौज: नेशनल टीम ने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का जायजा लिया

- स्वास्थ्य कर्मियों के यूएन साथ गृह भ्रमण कर लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खाने के लिए किया प्रेरित

- एसीएमओ डॉ ब्रजेश शुक्ला ने कहा, गंभीर व लाइलाज बीमारी है फाइलेरिया, दवा खाने से न करें इन्कार

कन्नौज, 20 अगस्त (हि.स.)। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर जनपद में ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के ग्राम जसोदा एवं सीएचसी में जनपद स्तरीय 10 अगस्त से 2 सितंबर तक चल रहें एमडीए अभियान की ज़मीनी प्रगति जानने के लिए भारत सरकार की नेशनल टीम ने मंगलवार को जिले के भ्रमण कर अभियान का अवलोकन किया। इस दौरान टीम ने क्षेत्र में कार्य कर रहे दवा सेवन कर्मियों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ गृह भ्रमण कर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा के सेवन करने के लिए प्रेरित किया। मौके पर लोगों ने टीम के सामने दवा का सेवन किया, साथ ही समुदाय में अन्य लोगों को दवा का सेवन कराने के लिए उन्हें जागरूक करने की अपील की।

भारत सरकार से आई नेशनल टीम में नेग्लेक्टेड ट्रोपिकल डीजीज (एनटीडी) उन्मूलन कार्यक्रम के डॉ डी.एन गिरी (आरओ), एवं मेडिकल आफिसर डॉ श्रीमती एन केसरी के साथ। जनपद मुख्यालय से एसीएमओ डॉ ब्रजेश शुक्ला, जिला मलेरिया अधिकारी यूपी सिंह, पीसीआई इंडिया संस्था के डीएमसी सुनील गुप्ता, जिला संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ आतिफ हसन, पाथ संस्था के जिला समन्वयक नितेश कुमार, अपर मलेरिया अधिकारी देवेश दीक्षित, चिकत्सा अधीक्षक जलालाबाद डॉ० मनोज कुमार, बीसीपीएम जलालाबाद हुकुम सिंह इत्यादि मौजूद रहे।

सबसे पहले टीम ने सीएचसी जलालाबाद का भ्रमण किया। वहां पर फाइलेरिया बूथ में लगी डीए टीम के कार्य का निरीक्षण किया। तत्पश्चात जलालाबाद क्षेत्र के ग्राम पंचायत जसोदा में भ्रमण किया। इस दाैरान इन्कार करने वाले दो परिवारों को अभियान का महत्व समझाकर कर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया। क्षेत्र में काम कर रही डीए टीम का फैमिली रजिस्टर जांच की एवं घरों पर जाकर दवा सेवन करने वाले लोगों से दवा के संबंध में व फाइलेरिया रोग के संबंधी सवाल ज़वाब किए। टीम को फाइलेरिया उन्मूलन के सफल क्रियान्वयन हेतु दिशा निर्देश भी दिए। अपने सामने ही दवा सेवन कराएं जाने एवं जागरूकता को बढ़ाए जाने के लिए भी निर्देशित किया। नेशनल टीम ने स्वास्थ्य टीम के फैमिली रजिस्टर, घर-घर सर्वेक्षण, इन्कार करने वाले परिवारों समेत आदि अन्य विषयों के बारे में जानकारी ली और उन्हें शत-प्रतिशत पूरा करने का निर्देश दिया।

डॉ डी.एन गिरी एवं डॉ एन केसरी ने भ्रमण के दौरान ग्रामीण वासियों को बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर व लाइलाज बीमारी है। इसको हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है। यह हाथ, पैरों, महिलाओं के स्तन और पुरुषों के अंडकोष (हाइड्रोसिल) में होता है। इसका वाहक क्यूलेक्स मादा मच्छर व्यक्ति को ज़िंदगी भर के लिए विकलांग बना सकता है। इसके लक्षण 5 से 10 बाद दिखाई देते हैं। ऐसे में लक्षण हो या न हों फाइलेरिया रोधी दवा अवश्य खाएं। दवा खाने से कोई भी इन्कार न करे और दूसरों को दवा खाने के लिए प्रोत्साहित करें। बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर सभी को खिलाई जा रही है। इस अभियान से जुड़कर फाइलेरिया मुक्त प्रदेश व जनपद बनाने में सरकार का सहयोग करें।

हिन्दुस्थान समाचार / संजीव झा / मोहित वर्मा

   

सम्बंधित खबर