गुरु वशिष्ठ के वरदान से राजा दशरथ को हुई पुत्ररत्न की प्राप्ति

- श्रीविंध्य प्राचीन रविंद्र नाटक रामलीला कमेटी के तत्वावधान में श्रीराम जन्मोत्सव का मंचन

मीरजापुर, 21 अक्टूबर (हि.स.)। विंध्याचल के मोती झील मार्ग पर स्थित मां विंध्यवासिनी सेवा समिति परिसर में चल रहे रामलीला के दूसरे दिन सोमवार को श्रीराम जन्मोत्सव का मंचन किया गया। श्रीविंध्य प्राचीन रविंद्र नाटक रामलीला कमेटी के तत्वावधान में आयोजित रामलीला में राजा दशरथ व कौशल्या भगवान शंकर का पूजन अर्चन करते हैं। गुरु वशिष्ठ के आश्रम में पहुंच कर यज्ञ करते हैं, यज्ञ संपन्न होने के बाद गुरु वशिष्ठ ने प्रसाद के रूप में खीर देते हुए कहा कि तीनों रानियां इसका सेवन कर लें। गुरु वशिष्ठ ने उन्हें वरदान दिया कि पुत्र की प्राप्ति होगी। श्रृंगी ऋषि ने पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाया। राजा दशरथ क्षीर सागर में जाकर विष्णु भगवान की पूजा-अर्चन कर पुत्र प्राप्ति की कामना करते हैं। राजा दशरथ की तीनों रानियों ने चार सुंदर पुत्रों को जन्म दिया।

प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण भरत एवं शत्रुघ्न का जन्म होता है। अयोध्यावासी खुशी के मारे नाचने व गाने लगे। राम और लक्ष्मण के नौ वर्ष के हो जाने पर, गुरु विश्वामित्र शिक्षा दीक्षा ग्रहण कराने के लिए अपने आश्रम ले जाते हैं। वहां पर राक्षसों द्वारा यज्ञ को भंग किया जाता है। पात्रों में दशरथ की भूमिका में प्रशांत द्विवेदी, गुरु विश्वामित्र की भूमिका आदर्श उपाध्याय, विश्वामित्र अमन गोस्वामी, छोटा राम आयुष गोस्वामी, लक्ष्मण की भूमिका में एस मिश्रा, कौशल्या अर्चना सिंह एवं व्यास की भूमिका में गोपी रहे।

संचालन जय चौरसिया ने किया। इस दौरान संस्था के संरक्षक प्रकाशचंद पांडेय, अध्यक्ष संगमलाल त्रिपाठी, मंत्री कमल मिश्र, निर्देशक राज गिरी समेत कमेटी के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

   

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