प्रकृति, अनुभव, संवेदना में भी छिपा है ज्ञान : नित्यानंद सिंह

--पतंजलि ऋषिकुल ने टैगोर जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाया प्रयागराज, 09 मई (हि.स.)। रविन्द्र नाथ टैगोर यह मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि जीवन को समझना और उसे सुंदर बनाना है। ज्ञान केवल पुस्तकों में नहीं, प्रकृति, अनुभव और संवेदना में भी छिपा होता है। उक्त विचार शुक्रवार को तेलियरगंज स्थित पतंजलि ऋषिकुल में विश्व विख्यात कवि, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर विद्यालय के प्रधानाचार्य नित्यानंद सिंह ने व्यक्त किया। उन्होंने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के युग में गुरुदेव रवीन्द्र जी के समरसता पूर्ण सह अस्तित्व के विचार मानव समाज के लिए और भी अधिक प्रासंगिक हैं।कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य नित्यानंद सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। विद्यालय में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यार्थियों ने रवीन्द्र नाथ टैगोर के जीवन कृतित्व एवं राष्ट्र सेवा के योगदान को विविध रूपों में प्रस्तुत किया। विद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रेरक एवं मंत्रमुग्ध करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘एकला चलो रे’ इंस्ट्रुमेंटल संगीत, गुरुदेव की बांग्ला रचना “सजनी, सजनी राधिका लो देख अभू” पर एक भावमय रवीन्द्र नृत्य की प्रस्तुती, “पोचिशे बैशाख” कविता का पाठ और “रवीन्द्र नृत्य” शीर्षक से एक समूह नृत्य की प्रस्तुती की गई। विद्यालय के अध्यक्ष रवीन्द्र गुप्ता एवं उपाध्यक्ष डॉ कृष्णा गुप्ता ने अपने प्रेषित सन्देश में कहा कि गुरुदेव ने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानवीय मूल्यों और सामाजिक चेतना को जागृत किया। विद्यालय की निदेशक श्रीमती रेखा बैद एवं सचिव यशवर्धन ने टैगोर जयंती की बधाई दी।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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