चित्रकूट पहुंच लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान कामतानाथ के दर्शन से किया नूतन वर्ष का स्वागत

चित्रकूट, 01 जनवरी (हि स)।

विश्व प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ के रूप में विख्यात भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में देश भर से आये लाखों भक्तों ने धर्म नगरी के आराध्य मनोकामनाओं के पूरक भगवान श्री कामतानाथ के दर्शन-पूजन के बाद कामदगिरि पर्वत की पंचकोसी परिक्रमा लगाकर नूतन वर्ष का भव्यता के साथ स्वागत किया। नव वर्ष के उपलक्ष्य पर धर्म नगरी के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों को फूलों एवं रंगीन झालरों से सजाया गया था। आस्थावानों का मानना है कि भगवान कामतानाथ के दर्शन के साथ नये वर्ष की शुरुआत होने से पूरा साल उनके जीवन में सुख-समृद्धि की भरमार रहती है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के वनवास काल का सर्वाधिक साढे 11 वर्षों का समय व्यतीत करने की वजह से पौराणिक दृष्टिकोण से चित्रकूट का समूचे विश्व में विशेष महत्व है। तपोभूमि में वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं की भरमार रहती है। लेकिन नव वर्ष के स्वागत के लिए चित्रकूट में पूरे देश से लाखों की संख्या में आस्थावानों का जमावड़ा लगता है। नये साल के शुरू होने से एक दिन पहले ही उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश, राजस्थान,छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और दिल्ली समेत देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु धर्म नगरी पहुंचते है। इसके बाद नूतन वर्ष के उपलक्ष्य पर सर्वप्रथम माता सती अनुसुइया के तपोबल से निकली मां मंदाकिनी गंगा में आस्था की डूबकी लगाने के बाद रामघाट तट पर भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचना से पूर्व स्थापित भगवान शिव की प्राचीन मूर्ति स्वामी मत्त गजेन्द्र नाथ का जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित करते है। इसके बाद मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान श्री कामतानाथ के दर्शन-पूजन के बाद कामदगिरि पर्वत की पंचकोसी परिक्रमा कर नूतन वर्ष का स्वागत करते है। इस दौरान आस्थावानो द्वारा परिक्रमा पथ पर बैठें भिक्षुकों एवं दीन -हीनो को दान-दक्षिणा कर पुण्य लाभ अर्जित करते है।

चित्रकूट की महिमा

कामतानाथ मंदिर के महंत मदन गोपाल दास महाराज एवं प्राचीन मुखार बिंद मंदिर के पुजारी भरत शरण दास महाराज एवं भागवताचार्य डा0 राम नारायण त्रिपाठी व आचार्य नवलेश दीक्षित पौराणिक तीर्थ चित्रकूट की महिमा का बखान करते हुए कहते है कि चित्रकूट ब्रह्मांड की सबसे पावन भूमि है। भगवान श्री राम ने वनवास काल का सर्वाधिक साढे 11 वर्ष का समय चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत पर व्यतीत किया था।चित्रकूट से जाते समय भगवान श्रीराम ने चित्रकूट गिरि को कामदगिरि यानी मनोकामनाओं के पूरक होने का वरदान दिया था। जिसकी महिमा के प्रताप से ही कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाने से श्रद्धालुओ की मनौती पूर्ण होती है। बताया कि नव वर्ष के उपलक्ष्य पर देश भर से लाखो श्रद्धालुओ का चित्रकूट में जमावड़ा लगता है। लोग भगवान कामतानाथ के दर्शन और पूजन से अपने नए साल की शुरूआत करते ही। इस उपलक्ष्य पर तपोभूमि चित्रकूट के आराध्य भगवान श्रीकामतानाथ समेत सभी मठ -मंदिरो की फूलों से विशेष सजावट की जाती है।

धार्मिक आस्था

नूतन वर्ष के स्वागत को मुरैना से आये भक्त ओम प्रकाश अग्रवाल,नूतन जैन ने बताया कि वह प्रतिवर्ष अपने परिवार के साथ धर्म नगरी चित्रकूट से ही नये वर्ष का शुरूआत करते है। ऐसा करने से भगवान कामतानाथ उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।उन्होंने बताया कि इसी वजह से नए वर्ष की शुरुआत के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड समेत देश के कोने- कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं चित्रकूट पहुंचकर भगवान कामतानाथ के दर्शन और पूजन कर नये वर्ष की शुरुआत करते है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

नव वर्ष के स्वागत के लिए चित्रकूट आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन और पुलिस अधीक्षक अरूण कुमार सिंह द्वारा मेला परिक्षेत्र में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती के साथ -साथ नगर पालिका के ईओ लालजी यादव द्वारा श्रद्धालुओं को ठंड से बचाव के लिए अलाव आदि के भी पुख्ता इंतजाम किये गए थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / रतन पटेल

   

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