लखनऊ विकास प्राधिकरण की वेबसाइट अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से होगी लैस

लखनऊ, 04 मार्च(हि.स.)। लखनऊ विकास प्राधिकरण की बैठक में मण्डलायुक्त एवं प्राधिकरण अध्यक्ष डॉ रोशन जैकब ने कहा कि नया पोर्टल व वेबसाइट अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। इससे न सिर्फ वेबसाइट का रिस्पॉन्ड टाइम बेहतर हो जाएगा, बल्कि किसी भी तरह की इंट्री को ऑनलाइन ट्रेस करके सत्यापित किया जा सकेगा। सुरक्षा के लिहाज से भी नया सॉफ्टवेयर फुल प्रूफ होगा और इसमें डाटा का संरक्षण बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। इसके लिए इंटीटी रिसोर्स प्लानिंग सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष एवं मण्डलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने मंगलवार को पारिजात सभागार में बैठक करके एलडीए में प्रचलित आईटी संबंधी कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान डॉ.रोशन जैकब ने निर्देश दिये कि पोर्टल को जन सामान्य के लिहाज से आकर्षक व यूजर फ्रेंडली बनाने के साथ ही सिटिजन सर्विसेज को उच्चीकृत किया जाए।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बैठक में बताया कि प्राधिकरण में जो ईआरपी सॉफ्टवेयर चल रहा है। उसकी टेक्नोलॉजी कई वर्ष पुरानी है। वर्तमान में यह टेक्नोलॉजी प्रचलित नहीं है और इनका कम्यूनिटी सपोर्ट भी बंद हो चुका है। इस ईआरपी में जीयूआई (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) न तो यूजर फ्रेंडली है और न ही आज के मानकों पर खरा उतरता है।

प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने बताया कि इसके अलावा प्राधिकरण द्वारा जब भी आवासीय, व्यावसायिक योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन खोले जाते हैं, तब वेबसाइट पर अत्याधिक ट्रैफिक बढ़ने से वेब पोर्टल पर रिस्पाइंड टाइम धीमा हो जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण के लिए नया वेब पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जोकि पहलेे की तुलना में कहीं अधिक उपयोगी होगा। इसके अंतर्गत पूर्व में प्रचलित सभी सेवाओं का सरलीकरण किया जा रहा है, जिससे लोग आसानी से डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकें।

उपाध्यक्ष ने बताया कि पोर्टल में सभी योजनाओं की सम्पत्ति का पूरा ब्योरा उपलब्ध होगा। इसके अलावा विकास क्षेत्र के किसी भी हिस्से की लैंड यूज रिपोर्ट भी आसानी से मिल जाएगी। इसके लिए आवेदक को तहसील, गांव का नाम व गाटा संख्या डालना होगा और एक क्लिक पर रिपोर्ट सामने होगी। इसमें यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति निर्धारित शुल्क जमा करके लैंड यूज की एनओसी भी प्राप्त कर सकेगा।

बैठक में सचिव विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि पुराने सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामियों के चलते डाटा की सुरक्षा सुदृढ़ नहीं थी। अब नया सॉफ्टवेयर विकसित करते हुए सारा डाटा उसमें माइग्रेट किया जा रहा है, जोकि पूरी तरह सुरक्षित होगा और इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ की संभावना नहीं रहेगी। किसी भी फाइल को आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। इसके अलावा नये सॉफ्टवेयर में व्हाट्सएप बॉट, चौटबॉट व डिजीलॉकर जैसे वर्तमान में प्रचलित टूल्स के साथ-साथ और भी नये फंक्शन्स संचालित हो सकेंगे।

विशेष कार्याधिकारी देवांश त्रिवेदी ने बताया कि नवीनतम टेक्नोलॉजी पर संचालित ईआरपी में प्लानिंग, सम्पत्ति, अभियंत्रण, वित्त एवं लेखा, मानव संसाधन, अभिलेखागार, अनुरक्षण, विधि व जनसूचना आदि अनुभागों के मॉड्यूल विकसित किये जा रहे हैं। इसमें पेमेंट गेट-वे, डिजिटल सर्टीफिकेट, डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम, आधार बेस्ड वेरीफिकेशन जैसी अन्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। यह दिसंबर 2025 तक पूर्ण रूप से संचालित हो जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र

   

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