विप्र विद्वत परिषद के पंडिताें ने बताया ,एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा, दो नवंबर को गोवर्धन पूजा

धमतरी, 21 अक्टूबर (हि.स.)।इस साल अमावस्या के कारण दिवाली और गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर संशय है। विप्र विद्वत परिषद के अध्यक्ष समेत अन्य पंडितों ने इस संबंध में कहा कि 31 अक्टूबर को दिन में तीन बजकर 53 मिनट से अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी। दो अक्टूबर को गोवर्धन पूजा होगी, एक नवंबर को दिवाली मनाना शास्त्र सम्मत है।

विप्र विद्वत परिषद के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री, संरक्षक पंडित महेश शास्त्री, पंडित संतोष तिवारी, पंडित होमन शास्त्री, पंडित अयोध्या पांडेय, पंडित घनश्याम द्विवेदी ने बताया कि इस वर्ष अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दिन में तीन बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होकर एक नवंबर को शाम छह बजकर 17 मिनट तक रहेगी। इस वजह से इस साल एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा और दो नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी। कैलेंडर के अनुसार धनतेरस 29 अक्टूबर और देव पंचांग के अनुसार धनतेरस 30 अक्टूबर को मनाना शुभ रहेगा। दिवाली पर्व की शुरुआत 11 दिन बाद होगी, लेकिन लक्ष्मी पूजा को लेकर संशय की स्थिति है। इस संशय को विप्र विद्वत परिषद के पंड़ितों ने दूर कर स्पष्ट किया है। जानकारी के अनुसार साल 2022 में 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण था। जिस कारण से एक दिन गेप के बाद गोवर्धन पूजा हुई थी। 24 अक्टूबर को एक दिन में ही नरक चौदस व दिवाली मनाई गई थी। पंडितों के अनुसार 25 अक्टूबर की शाम को खंडग्रास सूर्यग्रहण की वजह से सूतक 12 घंटे पहले लग गया था।

31 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी, तीन को भाईदूज

विप्र विद्वत परिषद के मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि देव पंचांग के अनुसार 30 अक्टूबर को धनतेरस है। 31 को नरक चतुर्दशी, एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा, दो नवंबर को गोवर्धन पूजा और तीन नवंबर को भाईदूज मनाना शुभ रहेगा। प्रदोष काल के अलावा अमावस्या भी पड़ रहा है, इसलिए एक नवंबर को लक्ष्मी पूजा करना शुभ है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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