अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर एडवांस स्टडी में विशेष व्याख्यान का आयोजन

शिमला, 13 मई (हि.स.)। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी) शिमला में मंगलवार को लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। “अहिल्याबाई होलकर: महिला सशक्तिकरण की सार्वभौमिक प्रतीक” विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद् और पूर्व आईआईएएस अध्यक्ष प्रो. चंद्रकला पाडिया ने गहन वक्तव्य दिया। यह आयोजन लोकमाता अहिल्याबाई त्रिशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में हुआ।

प्रो. पाडिया ने अपने व्याख्यान में कहा कि अहिल्याबाई होलकर केवल एक शासिका नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, नैतिक मूल्यों और प्रशासनिक दृष्टिकोण की जीवंत प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने उस दौर में सत्ता संभाली, जब समाज में महिलाओं को नेतृत्व के अवसर नहीं मिलते थे। इसके बावजूद अहिल्याबाई ने न्याय, सेवा और धार्मिक सहिष्णुता को अपने शासन की आधारशिला बनाया।

उन्होंने यह भी बताया कि अहिल्याबाई का शासन जनकल्याण को समर्पित था। उन्होंने देशभर में मंदिर, धर्मशालाएं, शिक्षण संस्थान, कुएं और घाट बनवाए। काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर दक्षिण भारत के तीर्थ स्थलों के संरक्षण तक उनके कार्य सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं।

प्रो. पाडिया ने कहा कि आज के संदर्भ में अहिल्याबाई होलकर एक ऐसी नायिका हैं, जिन्होंने पितृसत्तात्मक व्यवस्था के भीतर रहकर उसकी सीमाओं को ललकारा और करुणा, नीति व शक्ति के संतुलन से महिला नेतृत्व की नई परिभाषा प्रस्तुत की।

कार्यक्रम की शुरुआत में आईआईएएस के उपाध्यक्ष प्रो. शैलेन्द्र राज मेहता ने उद्घाटन भाषण में कहा कि अहिल्याबाई का जीवन आदर्शों की प्रेरणा है और आज की पीढ़ी के लिए एक प्रकाशस्तंभ है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं संस्थान की शासी निकाय की अध्यक्ष प्रो. शशिप्रभा कुमार ने उन्हें “कर्तव्य, करुणा और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की त्रयी” बताया।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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