संस्कृतनिष्ठ शोध कार्य वैज्ञानिक और शोधपरक होना चाहिए : प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी

-इविवि के संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग में प्राक्शोधोपाधि व्याख्यानमाला

प्रयागराज, 20 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्यभाषा विभाग में बृहस्पतिवार को प्राक्शोधोपाधि व्याख्यानमाला के अंतर्गत विशिष्ट व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी ने शोध प्रविधि विषय पर कहा कि संस्कृतनिष्ठ शोध कार्य अत्यंत वैज्ञानिक तथा शोधपरक होना चाहिए। संस्कृत भाषा में भाषा के पर्यायवाची शब्द के रूप में अनेक शब्द प्राप्त होते हैं। जैसे कहा गया है-ब्राह्मी तु भारती भाषा गीर्वाग् वाणी सरस्वती।

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के विभागाध्यक्ष प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भाषा में व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ ही अधिकांश प्रयुक्त होते हैं। जिनसे अर्थ का ज्ञान होता है। इसी प्रकार शोध के लिए प्रयुक्त शब्द रिसर्च, अन्वेषण, गवेषणा-इनोवेशन आदि शब्द अपने विशिष्ट अर्थ को बताते हैं। वर्तमान में ऋषिचर्या शब्द का प्रयोग भी किया जा रहा है। वैदिक साहित्य के प्रारंभ में ऋग्वेद का प्रथम मन्त्र-अग्निमीडे पुरोहितम् चतुर्दश माहेश्वर सूत्र में प्रथम अइउण का आधार है। तथा बताता है कि जो पुरोहित है वही इड्य है अर्थात् जिससे कल्याण होता है। इसी प्रकार धर्म का लक्षण बताते हुए आपने मनुस्मृति को उद्धृत किया और बताया कि मनुस्मृति में धर्म का लक्षण दो बार आया है। द्वितीय अध्याय एवं तेरहवें अध्याय में-

धृतिक्षमादमोस्त्येयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।

द्वितीय व्याख्याता सुनीत द्विवेदी, प्रो. के. बनर्जी वायुमंडल एवं समुद्र विज्ञान केन्द्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ओपेन एक्सेस पब्लिशिंग डाटाबेस एण्ड रिसर्च मेट्रिक्स विषय पर व्याख्यान हुआ। उन्होंने कहा कि मौलिक शोध’ समाज के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। आनलाइन उपलब्धता के कारण पूरे विश्व में शोध कार्य की पहुंच सम्भव होती है। वर्तमान में अनेक पत्र-पत्रिकाएं अध्ययन के लिए निःशुल्क उपलब्ध हैं। जिनकी पहुंच आनलाइन माध्यम से दूर-दूर तक होती है। वर्तमान में भारत भी शोध-पत्र लेखन की दृष्टि से एक श्रेष्ठ स्थिति को प्राप्त हो रहा है। भारत सरकार ने इन्फ्लिब नेट आदि विभिन्न संस्थाओं को इस विषय के लिए तैयार किया है। प्रो. अनिल प्रताप गिरि ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. जया कपूर, डॉ. निरुपमा त्रिपाठी, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. तेज प्रकाश, डॉ. सन्त प्रकाश तिवारी, डॉ.लेख राम दन्नाना, डॉ.संदीप कुमार, डॉ.अनिल कुमार, डॉ.मीनाक्षी जोशी, डॉ.रेनू कोछड़ शर्मा, डॉ. विकास शर्मा, डॉ. आशीष त्रिपाठी, डॉ.रजनी गोस्वामी, डॉ. रश्मि यादव, डॉ. प्रतिभा आर्या, डॉ.सतरुद्र प्रकाश सहित शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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