शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ईडी ने किया गिरफ्तार

रायपुर, 15 जनवरी (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री एवं कांग्रेस विधायक कवासी लखमा को आज आठ घंटे की पूछताछ के बाद शराब घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। बुधवार को वे तीसरी बार वे ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए पहुंचे थे।ईडी ने लंबी पूछताछ के बाद कवासी लखमा को गिरफ्तार कर आज शाम गिरफ़्तारी के बाद जस्टिस अतुल श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया गया । ईडी ने कोर्ट से लखमा की 14 दिन की रिमांड मांगी। मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कवासी लखमा को कोर्ट ने उन्हें सात दिन की रिमांड पर ईडी को सौंपा है। कवासी लखमा को 21 जनवरी को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

शराब घोटाला मामले में 28 दिसंबर को ईडी ने पूर्व मंत्री लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी।छापेमार कार्रवाई में ईडी ने नगद लेनदेन के सबूत मिलने की जानकारी दी थी।तीन जनवरी को दोनों को पूछताछ के बाद छोड़ा गया था।ईडी के अधिकारियों ने आज कवासी लखमा ने तीसरी बार पूछताछ के लिए बुलाया था। इस दौरान ईडी ने कवासी से कहा था कि वह अपने सीए को भी साथ में लेकर आएं लेकिन कवासी लखमा अकेले ही ईडी के दफ्तर पहुंचे। कवासी लखमा ने बताया कि उनके किसी किसी काम से बाहर गए हैं जिस कारण से वह नहीं आए हैं।गिरफ्तारी के बाद कवासी लखमा ने मीडिया से कहा कि ईडी को जांच के दौरान उनके घर से फूटी कौड़ी नहीं मिली है। जबरन फंसाया गया है। नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। इसके पीछे भाजपा का हाथ है।

ईडी ने लखमा के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी, और अब उनके बैंक खाते, संपत्तियों सहित अन्य वित्तीय जानकारी को खंगाले। जिससे कई अहम सबूत हाथ लगे हैं।ईडी की जांच के अनुसार, लखमा पर आरोप है कि उन्होंने शराब घोटाले के जरिए अवैध रूप से करोड़ों रुपये कमाए।बताया गया है कि है कि लखमा को शराब घोटाले की अवैध कमाई के रूप में प्रति माह 50 लाख रुपये का कमीशन मिलता था।

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल)के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को सीएसएमसीएल का एमडी नियुक्त कराया। उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ।आपराधिक सिंडिकेट के जरिये सीएसएमसीएल की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।इस घोटाले में अन्य प्रमुख आरोपितों में आबकारी विभाग के अधिकारी, व्यवसायी और कई उच्च सरकारी कर्मी शामिल हैं। जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब की बिक्री की गई थी, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।ईडी की जांच के अनुसार तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आइएएस अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए शराब घोटाले को अंजाम दिया गया था।

हिन्दुस्थान समाचार / केशव केदारनाथ शर्मा

   

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