मकर संक्रांति पर बड़ी संख्या में लोगों ने पावन गंगा में लगाई डुबकी
- Admin Admin
- Jan 14, 2025
पटना, 14 जनवरी (हि.स.)। पटना में गंगा नदी सहित बिहार के सभी प्रमुख नदी घाटों पर आज सुबह से ही करोड़ लोगों ने मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आस्था की डुबकी लगायी।
पटना में सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने आस्था और विश्वास के साथ गंगा में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की।
घाट पर मौजूद पंडित-पुजारियों के मुताबिक, मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान को विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे शुभ और पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप, चाहे वे जाने-अनजाने में किए गए हों, सब खत्म हो जाते हैं।
घाटों पर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने गंगा में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व होने के कारण लोगों ने अन्न, कपड़े, तिल, गुड़ और अन्य वस्तुओं का दान किया।
पटना नगर निगम और पटना पुलिस के सुरक्षा कर्मियों ने इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। नगर निगम ने घाटों की साफ-सफाई सुनिश्चित की। नावों और गोताखोरों की भी व्यवस्था की गई, ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।
उल्लेखनीय है कि मकर संक्रांति पूरे भारत और नेपाल में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। हिन्दू परम्परा के अनुसार, माघ मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व 'तिला संक्रांत' नाम से भी प्रसिद्ध है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। 14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर (जाता हुआ) होते हैं। इसी कारण इस पर्व को 'उतरायण' (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते हैं। वैज्ञानिक तौर पर इसका मुख्य कारण पृथ्वी का निरंतर 6 महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर वलन कर लेना होता है और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी