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धमतरी, 2 मार्च (हि.स.)। आम के पेड़ों पर इस साल उत्पादन चक्र की बजाय विकास चक्र है, इसलिए पेड़ों पर बौर कम है। इसका असर उत्पादन पर दिखेगा। विकास चक्र में उत्पादन कम होता है। वहीं दिसंबर, जनवरी व फरवरी माह में वर्षा नहीं होने से महुआ के पत्तियां वर्षा से नहीं धूल पाई है इसलिए फूल भी कम लगा है इससे उत्पादन प्रभावित होगा।
जिले के धमतरी, कुरूद, मगरलोड और नगरी विकासखंड में 200 लोग आम की खेती से जुड़े हुए है, जो लंबे समय से आम की खेती कर रहे हैं। आम की खेती करने वाले उत्पादक सलीम रोकड़िया, कृष्ण कुमार, जुनैद रिजवी, कौशल कुमार नेताम ने बताया कि इस साल आम फसल के लिए विकास चक्र है इसलिए पौधों में बौर कम है। दिसंबर, जनवरी और फरवरी माह में यदि वर्षा नहीं हाेती है, तो आम व महुआ पेड़ों की पत्तियां नहीं धूल पाती और बौर व फूल कम लगता है। यह स्थिति इस साल जिले में बनी हुई है। ज्यादातर आम के पेड़ों पर बौर कम है और पत्तियां काफी हरी है। यही स्थिति महुआ के पेड़ों पर भी है, फूल कम लगा है। इस तरह इस साल कम उत्पादन की आशंका है। जिले में उत्पादन चक्र के दौरान 20 हजार टन तक आम का उत्पादन होता है, लेकिन इस साल उत्पादन कम होने की आशंका है। जिले में 10 से 15 प्रकार के आम के वेरायटी है, जिसमें दशहरी, लंगड़ा, बाम्बेग्रीन, मल्लिका, आम्रपाली, बैंगन फल्ली, गोला हाफुज, नीलम आदि शामिल है। धमतरी की आम रायपुर, कांकेर, जगदलपुर समेत अन्य जगहों पर बिकती है और इन क्षेत्रों में काफी मांग भी रहता है।
उल्लेखनीय है कि आम के पेड़ों पर एकांतर फलन यानि अल्टरनेट वयरिंग एक बड़ी समस्या है। कृषि वैज्ञानिक इस पर काफी शोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। सभी प्रकार के आम के पेड़ों पर यह एक बड़ी समस्या है। जिले के बेन्द्रानवागांव नर्सरी, भाठागांव, रांकाडीह और सेमरा नर्सरी में आम के पेड़ों पर पिछले साल की तुलना में काफी कम बौर है। ऐसे में उत्पादन कम होंगे। वहीं ग्राम अमेठी, मरादेव, खिड़कीटोला, दरगहन, चनागांव, छिंदभर्री और बनबगौद में आम के कई बड़े नर्सरी है, जहां कई एकड़ जमीन पर आम बगीचा है, यहां भी आम के पेड़ों पर बौर काफी कम है। पिछले साल उत्पादक चक्र होने की वजह से आम का उत्पादन अधिक था, लेकिन इस साल कम है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा