मेघा पुल धंसने से क्षतिग्रस्त, चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक

धमतरी , 22 सितंबर (हि.स.)। कुरूद, मगरलोड और गरियाबंद जिले को जोड़ने वाला मेघा पुल धंसने से क्षतिग्रस्त हो गया है। इस पर चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दिया गया है, ताकि पुल टूट न जाए। पुल क्षतिग्रस्त होने से लोगों की आवाजाही प्रभावित है। रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और ओवरलोड वाहनों के चलने से पुल के खराब होने की आशंका है।

मगरलोड विकासखंड को जिला मुख्यालय धमतरी-कुरूद से जोड़ने वाला पुल धंसने से क्षतिग्रस्त हो गया है। शासन ने रव‍िवार से इस पुल से चार पहिया वाहनों की आवाजाही पर रोक दिया है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लोगों का आरोप है कि पुल पर ओवरलोड वाहनों के चलने व पुल के नीचे रेत के अवैध उत्खनन करने से पुल के नीचे लगा पत्थर का पिचिंग धंस गया है। जिससे पुल के आधार स्तंभ के नीचे धंसता जा रहा है और पुल एक तरफ झुक गया है। ऐसे में पुल कभी भी क्षतिग्रस्त होकर गिर सकता है।

पीडब्ल्यूडी विभाग ने पुल के दोनों ओर बेरिकेड्स लगाकर चारपहिया वाहनों का आवागमन पूरी तरह से रोक दिया है। सुरक्षा के मद्देनजर पुल के दोनों ओर पुलिस जवान तैनात किया गया है।मेघा पुल के नीचे मनमाने ढंग से रेत का अवैध उत्खनन किया गया है। कई बार जनप्रतिनिधियों के मनाही के बाद भी अवैध उत्खनन बंद नहीं किया गया। रेत के अवैध उत्खनन के बाद भी प्रशासन ने किसी पर कार्रवाई नहीं किया। इसका खामियाजा आज मगरलोड ब्लाक के लोगों को भुगतान पड़ रहा है। भारतमाला सड़क निर्माण के लिए भारी वाहनों द्वारा 80 से 90 टन मलमा डालकर इसी पुल के ऊपर से भी परिवहन किया जा रहा था।

एडीबी के अधिकारियों द्वारा परिवहन विभाग व कलेक्टर को कई बार सूचना देकर सड़क में चल रहे ओवरलोड गाड़ियों को बंद करने की अनुरोध किया गया था, लेकिन परिवहन विभाग इसे बंद नहीं कराया और वाहन चलता रहा। खामियाजा यह है कि सड़क व पुल दोनों खराब हो चुका है।जानकारी के अनुसार मेघा पुल निर्माण की शुरुआत 14 मई 1990 में शुरू हुआ। शुभरंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व सांसद विद्याचरण शुक्ला, विधायक दीपा साहू ने 14 मई 1994 में किया। शुभारंभ के बाद लोगों की आवाजाही के लिए खोला गया था। पुल करीब 30 वर्ष पुराना है, लेकिन देखने में यह पुल अधिक जर्जर नहीं लगता है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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