बेंगलुरु के चिंतन शिविर में इस्पात क्षेत्र को मजबूत करने की सामूहिक प्रतिबद्धता जताई
- Admin Admin
- Feb 17, 2025
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नई दिल्ली, 17 फ़रवरी (हि.स.)। इस्पात मंत्रालय ने बेंगलुरु के होटल ताज वेस्ट एंड में भारत के इस्पात क्षेत्र के भविष्य पर केंद्रित एक दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सीपीएसई के नेता प्रमुख उद्योग विषयों पर विचार-विमर्श करने और आगे की राह तैयार करने के लिए एकत्रित हुए।
इस कार्यक्रम में इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी वर्चुअली और इस्पात और भारी उद्योग राज्यमंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस्पात मंत्रालय के सचिव संदीप पौंड्रिक और सीपीएसई प्रमुखों ने भी भाग लिया, जिससे उद्योग के विकास के प्रति एकीकृत दृष्टिकोण को बल मिला। उद्घाटन समारोह के बाद लौह अयस्क उपयोग, राष्ट्रीय इस्पात नीति 2025, विशेष इस्पात, तथा परिचालन दक्षता और लागत में कमी के लिए रणनीतियों पर महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए। आकर्षक चर्चाओं ने सभी उपस्थित लोगों की सक्रिय भागीदारी को संभव बनाया।
भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने राष्ट्रीय इस्पात नीति के लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाने पर जोर देते हुए कहा, आइए हम 2030 तक 300 मीट्रिक टन इस्पात उत्पादन क्षमता प्राप्त करके आत्मनिर्भर भारत की दिशा में काम करें। इस्पात आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है और हमें घरेलू उत्पादन बढ़ाने, लौह अयस्क संसाधनों का अनुकूलन करने और प्रमुख क्षेत्रों के लिए विशेष इस्पात का उत्पादन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
संदीप पौंड्रिक ने उद्योग उत्कृष्टता, आत्म-चिंतन और निरंतर सीखने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह मंच परिचालन दक्षता बढ़ाने और नवाचार को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है, जिससे टिकाऊ और प्रभावशाली विकास सुनिश्चित होता है।”
इस आयोजन का एक मुख्य आकर्षण इंडिया स्टील 2025 के लिए आधिकारिक वेबसाइट का शुभारंभ था, जो 24-26 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सीपीएसई के 35 युवा प्रबंधकों को भविष्य के उद्योग के नेताओं के रूप में पेश किया गया, जिन्हें दक्षता और लागत अनुकूलन को आगे बढ़ाने का काम सौंपा गया।
चिंतन शिविर का समापन सीपीएसई की ओर से वैश्विक स्तर पर भारत के इस्पात क्षेत्र को मजबूत करने की सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ। यह आयोजन हितधारकों को एकजुट करने, रणनीतिक चर्चाओं को बढ़ावा देने और एक लचीले और प्रतिस्पर्धी इस्पात उद्योग की नींव रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव