मुकुल रॉय की सदस्यता रद्द होने के बाद बंगाल की राजनीति में विवाद तेज
- Admin Admin
- Nov 18, 2025
कोलकाता, 18 नवंबर (हि.स.)। कलकत्ता उच्च न्यायालय की ओर से मुकुल रॉय की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, राज्य विधानसभा सचिवालय इस फैसले के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने साफ कर दिया है कि यदि विधानसभा सचिवालय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करता है, तो पार्टी भी इसका कड़ा प्रतिवाद करेगी।
सूत्रों के अनुसार विधानसभा सचिवालय ने राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता सहित कई वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों से परामर्श शुरू कर दिया है। इसके जवाब में भाजपा की विधायी टीम भी रणनीति तैयार करने में जुट गई है। नदिया जिले के कल्याणी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक अंबिका रॉय ने पुष्टि की कि यदि सचिवालय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है, तो भाजपा भी इस कदम को चुनौती देगी। उन्होंने बताया कि विस्तृत कार्रवाई के संबंध में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी बयान जारी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि, मुकुल रॉय की सदस्यता को लेकर उच्च न्यायालय का रुख सख्त रहा है। 13 नवंबर को न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने न केवल रॉय की सदस्यता रद्द की, बल्कि स्पीकर के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसमें सदस्यता रद्द करने से इनकार किया गया था।
मुकुल रॉय वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और नदिया जिले की कृष्णानगर (उत्तर) सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। हालांकि, चुनाव परिणाम आने के कुछ दिनों बाद ही वे वापस तृणमूल कांग्रेस में चले गए, लेकिन उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया और भाजपा के टिकट पर जीते विधायक के रूप में ही सदन में बने रहे। भाजपा ने इस स्थिति को ‘दलबदल कानून’ का उल्लंघन बताते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी, परंतु स्पीकर ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि रॉय आधिकारिक रूप से भाजपा उम्मीदवार थे, इसलिए सदस्यता खत्म नहीं की जा सकती। इसके बाद भाजपा ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जहां लंबी सुनवाई के बाद खंडपीठ ने मुकुल रॉय की सदस्यता रद्द करने का आदेश सुनाया।
अब विधानसभा सचिवालय के संभावित अपील पर विचार के बीच राजनीतिक तनाव और कानूनी टकराव की स्थिति और भी गहरी होती दिखाई दे रही है।---------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर



