विधायक फारूक अहमद ने कश्मीर में बाढ़ प्रबंधन परियोजना की धीमी प्रगति पर जताई चिंता
- Neha Gupta
- Mar 15, 2025


जम्मू, 15 मार्च । नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक फारूक अहमद शाह ने शनिवार को कश्मीर में बाढ़ प्रबंधन परियोजना की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की। इसके बाद सरकार ने सदन को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री विकास पैकेज (पीएमडीपी) के तहत मंजूर परियोजना को घाटी को बाढ़ से बचाने के लिए युद्ध स्तर पर पूरा किया जाएगा।
जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा ने शाह के एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए यह आश्वासन दिया। वह एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और पिछले साल गुलमर्ग विधानसभा क्षेत्र से अपना पहला चुनाव जीता था। शाह ने जम्मू-कश्मीर में 2014 की बाढ़ के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंजूर बाढ़ प्रबंधन परियोजना के निष्पादन में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि स्मार्ट सिटी पहल के तहत सड़कों और भवनों के निर्माण जैसी सभी विकास परियोजनाएं बाढ़ के खतरे को देखते हुए अप्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी सदियों से बाढ़ की चपेट में है। वर्ष 1902, 1959 और 2014 में भीषण बाढ़ की घटनाएँ देखी गईं। रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 1800 से झेलम बेसिन में 34 उल्लेखनीय बाढ़ देखी गई हैं जिनकी पुनरावृत्ति दर औसतन हर छह साल में लगभग एक बार है।
मंत्री राणा ने कहा कि सितंबर 2014 की बाढ़ के बाद 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित पीएमडीपी के तहत झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों के साथ बाढ़ प्रबंधन के लिए 2,083 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे। इसके बाद अल्पकालिक और दीर्घकालिक बाढ़ उपायों (पीएमडीपी-एक के लिए 399.29 करोड़ रुपये और पीएमडीपी-दो भाग-ए के लिए 1,623.43 करोड़ रुपये) के लिए दो चरणों - चरण-एक और चरण-दो में कार्यान्वयन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई।
मंत्री ने कहा कि चरण-एक को जल संसाधन मंत्रालय द्वारा 2015-16 में मंजूरी दी गई थी और यह पूरा होने के करीब है, जिसमें 80 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है।इससे श्रीनगर पहुंच में झेलम की वहन क्षमता 31,800 क्यूसेक से बढ़कर 41,000 क्यूसेक हो गई है। उन्होंने कहा कि चरण दो (भाग-ए) को मंत्रालय ने मार्च 2022 में 1,623.43 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मंजूरी दी थी और इसका उद्देश्य 60,000 क्यूसेक की बाढ़ के खतरे को कम करना है। उन्होंने कहा कि परियोजना निष्पादन में है और इस पर केंद्रीय सहायता के 114.29 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत कुल 30 बैंक संरक्षण कार्य निष्पादित किए जा रहे हैं, जिनमें से 29 के लिए निविदाएं दी जा चुकी हैं और 16 पूरे हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि होकरसर वेटलैंड में प्रवेश और निकास द्वार 28.45 करोड़ रुपये की लागत से पूरे हो गए हैं। ये द्वार आर्द्रभूमि के कायाकल्प के लिए महत्वपूर्ण हैं। आर्द्रभूमि क्षेत्र के भीतर 3-4 फीट का तालाब स्तर बनाए रखने के लिए लीन पीरियड सीजन के दौरान द्वार बंद रहेंगे ताकि इसके पारिस्थितिकी तंत्र को पोषण मिले और प्रवासी पक्षियों के लिए आवास उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ एजेंसियों की रिपोर्ट में मतभेदों के कारण बाढ़ स्पिल चौनल (एफएससी) और आउटफॉल चौनल (ओएफसी) पर काम शुरू नहीं किया गया है।
मंत्री ने कहा कि 11 बैठकों में विचार-विमर्श की एक श्रृंखला के बाद पिछले दिसंबर में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई जो वर्तमान में जांच के अधीन है। झेलम नदी और उसकी सहायक नदियों पर व्यापक बाढ़ प्रबंधन कार्य-चरण दो पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 5,411.54 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से तैयार की गई थी जिसे 17 जनवरी, 2019 को जल संसाधन विभाग को मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया गया था।
उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने अपनी टिप्पणियों में कार्यों को प्राथमिकता देने और उपलब्ध धन के मद्देनजर परियोजना के भाग-ए और भाग-बी को अलग-अलग बनाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक परिषद ने जून 2019 में डीपीआर को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी, इस शर्त के साथ कि विभाग उपलब्ध धन का उपयोग करके भाग-ए (अनुमानित 1,684.6 करोड़ रुपये) के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ सकता है, शेष, यानी भाग-बी के संबंध में विभाग वित्तपोषण विकल्पों का पता लगा सकता है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2022 में चरण-दो के भाग-ए के लिए 1,623.43 करोड़ रुपये की प्रशासनिक मंजूरी दी गई थी।-----------