एनएसएफ ने मनीबेन पटेल की 122वीं जयंती मनाई
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- Apr 03, 2025

जम्मू, 3 अप्रैल (हि.स.)। नेशनल सेकुलर फोरम (एनएसएफ), विश्वविद्यालय इकाई ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाली मनीबेन पटेल की जयंती पर विश्वविद्यालय परिसर में एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस संबंध में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें जम्मू जिला के समन्वयक डॉ. विकास शर्मा और जेकेएनसी के क्षेत्रीय सचिव मुख्य अतिथि थे जबकि एनएसएफ के राज्य अध्यक्ष डॉ. सुखदेव सिंह ने समारोह की अध्यक्षता की। एनएसएफ के राज्य सचिव विकास वशिष्ठ मुख्य अतिथि थे।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. विकास शर्मा ने मनीबेन पटेल के जीवन पर प्रकाश डाला और एनएसएफ के प्रयासों की सराहना की तथा युवाओं से समाज से सभी बुराइयों को खत्म करने के लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि मनीबेन पटेल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कार्यकर्ता और भारतीय संसद की सदस्य थीं। वह स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्रता के बाद के भारतीय नेता सरदार वल्लभभाई पटेल की बेटी थीं। बंबई में शिक्षा प्राप्त करने के बाद पटेल ने 1918 में महात्मा गांधी की शिक्षाओं को अपनाया और अहमदाबाद में उनके आश्रम में नियमित रूप से काम करना शुरू कर दिया।
डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि 1923-24 में ब्रिटिश सरकार ने आम लोगों पर भारी कर लगाया और इसकी वसूली के लिए उनके मवेशियों, जमीन और संपत्ति को जब्त करना शुरू कर दिया। इस उत्पीड़न के विरोध में मणिबेन ने महिलाओं को गांधी और सरदार पटेल के नेतृत्व में एक अभियान में शामिल होने और नो-टैक्स आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर एनएसएफ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि मणिबेन पटेल ने असहयोग आंदोलन के साथ-साथ नमक सत्याग्रह में भी भाग लिया और लंबे समय तक जेल में रहीं। हालांकि, मणिबेन पटेल भारत की आजादी और इस प्रकार भारत छोड़ो आंदोलन के लिए प्रतिबद्ध थीं इसलिए उन्हें 1942 से 1945 तक फिर से यरवदा सेंट्रल जेल में कैद किया गया। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में अपने पिता के जीवन पर एक पुस्तक के रूप में स्वतंत्रता संग्राम का लेखा-जोखा लिखा।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा