संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है : प्रो हरिदत्त शर्मा

-विभिन्न संस्कृतियों के बीच भाषा सेतु का काम करती है : प्रो सत्यकाम-सशक्त भाषा वही जो स्थानीय भाषाओं को समावेशित कर ले : रविनंदन सिंहप्रयागराज, 20 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में गुरुवार को साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी विकास में भोजपुरी, अवधी, ब्रज एवं बुंदेलखंडी भाषा के योगदान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रो हरिदत्त शर्मा ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। यह सभी भाषाओं और बोलियों को एक दूसरे से जोड़ती है। क्षेत्रीय भाषाएं लोकजीवन से जुड़ी होती हैं और ऋतुओं के अनुसार सुंदर गीत अवधी, भोजपुरी, ब्रज भाषा एवं बुंदेली में सुनने को मिलते हैं।

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए मुक्त विवि के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि भाषा विभिन्न संस्कृतियों के बीच और अपनी संस्कृति के भीतर भी सेतु का काम करती है। इन्हें दीवार बनाये जाने का जो प्रयत्न किया जाता है वह किसी भी भाषा व संस्कृति के लिए लाभदायक नहीं है। इसी अवधारणा को स्थापित करने के लिए हिन्दी के विकास में भोजपुरी, अवधी, ब्रज एवं बुंदेलखंडी भाषा के योगदान पर यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है।

विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित सेमिनार में कुलपति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए और कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि इन भाषाओं को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल किया जाना स्वागत योग्य एवं अग्रगामी कदम है। इससे न केवल हिन्दी का विकास होगा बल्कि उत्तर प्रदेश की सभी भाषाओं की जड़ें मजबूत होंगी।

विशिष्ट अतिथि सरस्वती पत्रिका के संपादक रवि नंदन सिंह ने कहा कि बोली के विकास बिना भाषा का विकास नहीं हो सकता। अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा एवं बुंदेली हिन्दी से अलग नहीं हैं। वह भी हिन्दी का एक स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि भाषा वही सशक्त होती है जो स्थानीय भाषाओं को समावेशित कर ले। हिन्दी इसी तरह की भाषा है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो प्रभाकर सिंह ने कहा कि किसी भी भाषा के विकास में बाेलियों का योगदान अहम है। भाषा को समझने के लिए लोक को समझना होगा और संगीत की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। अतिथियों का स्वागत साहित्य अकादमी के अजय शर्मा ने तथा संचालन डॉ त्रिविक्रम तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर एस कुमार ने किया।

मुक्त विवि के पीआरओ डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम दिन भोजपुरी का विकास एवं अवधी का विकास पर दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ सत्य प्रकाश पाल, डॉ प्रदीप कुमार, प्रो अजीत कुमार सिंह, डॉ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, रवि नंदन सिंह, अजीत सिंह आदि ने व्याख्यान दिया। इस अवसर पर श्रेयश शुक्ला एवं सान्हवी शुक्ला एवं उनकी टीम ने भोजपुरी, अवधी, ब्रज एवं बुंदेली में लोकगीत प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन शुक्रवार को होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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