‘क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स’ प्‍लेटफॉर्म के खिलाफ खुदरा दुकानदार करेंगे देशव्‍यापी आंदोलन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैट महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स)। कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने 'क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स के काम करने के तौर-तरीकों से देश के पारंपरिक खुदरा दुकानदारों को हो रहे नुकसान पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए उनके विरुद्ध देशव्‍यापी आंदोलन चलाने का संकल्‍प लिया है। कैट के बैनर तले राजधानी नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 'क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स का क्रूर चेहरा' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में सर्वसम्मति से यह ऐलान किया गया।

कैट के राष्‍ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने मंगलवार को कहा कि भारत का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता 'पारंपरिक खुदरा व्यापार', आज उन कंपनियों के निशाने पर है, जो खुलेआम कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं। बाजार को विकृत कर रही हैं और छोटे व्यापारियों को योजनाबद्ध तरीके से बर्बाद कर रही हैं। खुदरा कारोबारियों ने क्विक कॉमर्स व ई-कॉमर्स जैसी कंपनियों के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया है। खुदरा दुकानदार क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के तौर-तरीकों के खिलाफ देशव्‍यापी विरोध-प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि उनका मानना है कि ये कंपनियां खुदरा व्यापार को नुकसान पहुंचा रही हैं।

कैट महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा), ऑल इंडिया कंज्‍यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (आईसीपीडीएफ) और ऑर्गनाइज्‍ड रिटेलर्स एसोसिएशन (ओरा) के साथ मिलकर विदेशी फंड से संचालित ई-कॉमर्स कंपनियों और तथाकथित भारतीय क्विक कॉमर्स प्लेटफार्मों के खिलाफ आंदोलन करने का ऐलान किया है।

कारोबारी संगठन कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने कहा कि 1 मई से पूरे देश में एक निर्णायक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें हर राज्य और शहर की व्यापारिक संस्थाएं हिस्सा लेंगी। इस आंदोलन की रणनीति 25–26 अप्रैल को भुवनेश्वर में आयोजित कैट की नेशनल गवर्निंग काउंसिल मीटिंग में घोषित की जाएगी।

सम्‍मेलन में सर्वसम्मति से ये नीति प्रस्ताव पास किया गया-

-एफडीआई और ई-कॉमर्स नीतियों का तत्काल और सख्त प्रवर्तन एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत ई-कॉमर्स नियमों को तुरंत लागू किया जाए।

-ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा किए जा रहे इन्वेंट्री-आधारित संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगे, यदि वे स्वयं को मार्केटप्लेस बताते हैं।

-डिजिटल कॉमर्स के लिए एक स्वतंत्र और सक्षम नियामक संस्था का गठन किया जाए।

-प्लेटफार्मों के एल्गोरिद्म, मूल्य निर्धारण और विक्रेता चयन में पूर्ण पारदर्शिता अनिवार्य की जाए।

-छोटे किराना दुकानों और ऑफलाइन व्यापार को संरक्षण और प्रोत्साहन मिले।

-ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से वस्तुओं की खरीद पर जीएसटी के अंतर्गत लग्ज़री टैक्स लगाया जाए।

-क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को रोका जाए।

-डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय की जाए।

-बैंकों को यह निर्देश दिया जाए कि वे क्रेडिट कार्ड कैशबैक ऑफर में ई-कॉमर्स और छोटे दुकानदारों के बीच भेदभाव न करें।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर

   

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