अब बिना रेडिएशन और बेहतर परिणाम से होगी हार्ट की थ्री डी मैपिंग

जयपुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। पांच प्रतिशत आम जनता में हृदय की अनियंत्रित धड़कन की गंभीर बीमारी अरिद्मिया के मरीज हैं। इनमें से 11 प्रतिशत पुरुष और 9 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु इस बीमारी के कारण हो जाती है। जयपुर में अब नवीनतम तकनीक से इस बीमारी का सटीक इलाज संभव होगा। इसके लिए राजस्थान में पहली बार इनसाइट एक्स तकनीक आ गई है जो दिल की धड़कनों से जुड़ी सबसे जटिल बीमारियों की पहचान न केवल सटीकता से करेगी। बल्कि उनका उपचार भी बिना किसी रेडिएशन के कम समय में और अधिक सफलता के साथ होगा। इटर्नल हॉस्पिटल में राजस्थान की पहली अत्याधुनिक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी लैब शुरू हुई है जिसमें यह तकनीक उपलब्ध होगी।

इंटरनल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि इनसाइट एक्स तकनीक से हमें हृदय के उस विशेष स्थान का सटीक पता चलता है, जहां से असामान्य धड़कन उत्पन्न हो रही है। इससे हम घातक रोगों का अत्यधिक सटीकता से इलाज कर सकते हैं। यह तकनीक विशेष रूप से एट्रियल फिब्रिलेशन, वेंट्रिकुलर टैकिकार्डिया और एट्रियल फ्लोटर जैसे रोगों में कारगर सिद्ध हो रही है।

हॉस्पिटल के डायरेक्टर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी एंड हार्ट फेलियर डॉ. कुश कुमार भगत ने बताया, इनसाइट एक्स तकनीक से अब हम बिना किसी रेडिएशन के 3 डी मैपिंग कर सकते हैं। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं में यह तकनीक वरदान बनकर आई है, क्योंकि भारत में लगभग 2 प्रतिशत प्रेग्नेंसी मामलों में अरिद्मिया की समस्या पाई जाती है। अब हम उन्हें बिना जोखिम के सफलतापूर्वक उपचार दे सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक से प्रोसीजर टाइम भी काफी घट गया है, जिससे मरीजों की रिकवरी और परिणाम दोनों बेहतर हुए हैं।

हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा ने कहा कि हमने हमेशा प्रयास किया है कि राजस्थान की जनता को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। यह लैब उसी दिशा में हमारा एक और दृढ़ कदम है। सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने बताया कि हम जयपुर को चिकित्सा के क्षेत्र में देश के अग्रणी शहरों में स्थापित करना चाहते हैं। हमारे डॉक्टरों की टीम न केवल तकनीकी रूप से दक्ष है, बल्कि मरीजों के प्रति उनका समर्पण भी प्रेरणादायी है। मेडिकल डायरेक्टर डॉ. मनमीत मक्कड़ ने कहा कि हमने यह तकनीक सिर्फ उपकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक विज़न के रूप में अपनाई है जिससे मरीजों को अधिक सुरक्षित, अधिक सटीक और कम समय में इलाज मिल सके।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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