काेलकता रेजिडेंट दुष्कर्म-हत्या मामले से उबल रहा राजस्थान, सरकारी व प्राइवेट हॉस्पिटल की ओपीडी बंद

जयपुर, 17 अगस्त (हि.स.)। कोलकाता में रेजिडेंट की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों के चार दिन से चल रहे कार्य बहिष्कार के बाद अब निजी अस्पतालों व क्लीनिकों के चिकित्सक भी विरोध पर उतर आए हैं। शनिवार को प्रदेश भर में निजी चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं। सेवारत चिकित्सकों की जॉइंट एक्शन कमेटी और राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने भी सुबह 8 से 10 बजे तक दो घंटे के कार्य बहिष्कार किया। पहले से चल रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के बहिष्कार के बाद अब आंदोलन तेज होने से शनिवार को मरीजों और उनके परिजनों को धक्के खाने पड़े।

कार्य बहिष्कार के कारण जयपुर के सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों सहित प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सैकड़ों ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने चिकित्सा संगठनों के पदाधिकारियों के साथ वार्ता की, जिसमें अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड, सीसीटीवी कैमरे, पुलिस गश्त बढ़ाने सहित अन्य आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया। प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम्स सोसायटी के प्रेसिडेंट डॉ.विजय कपूर ने बताया कि शनिवार को संपूर्ण राजस्थान में निजी क्षेत्र की संपूर्ण चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के अध्यक्ष डॉ. मनोहर सियोल ने कहा कि त्वरित एक्शन और गिरफ्तारी होने तक बहिष्कार जारी रहेगा। आईएमए राजस्थान के अध्यक्ष डॉ. रजनीश शर्मा व सचिव डॉ.पी.सी गर्ग ने बताया कि शनिवार सुबह छह बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक चिकित्सा सेवाओं का पूर्णतया बहिष्कार चल रहा है। मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष डॉ.पवन सिंहल ने बताया कि एसोसिएशन से जुड़े चिकित्सक शिक्षक शनिवार को काली पट्टी बांध कर मरीजों को सेवाएं दे रहे हैं।

सवाई मानसिंह अस्पताल में ओपीडी मरीजों की संख्या 40 प्रतिशत तक कम हो गई है। कोटा के मेडिकल कॉलेज में करीब 50 ऑपरेशन टाल दिए गए हैं। राजधानी के जयपुरिया अस्पताल में भी ओपीडी बहिष्कार का असर देखने को मिला। रेजिडेंट के भरोसे होने वाली जांचें भी प्रभावित हुईं। जोधपुर में 200 ऑपरेशन नहीं हो सके। अजमेर में मिलिट्री और रेलवे हॉस्पिटल से मदद मांगी गई है। जैसलमेर में सीमा सुरक्क्षा बल के चिकित्सकाें ने माेर्चा संभाला। डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने राजस्थान में नियुक्त सभी डॉक्टर, मेडिकल ऑफिसर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की छुटि्टयों को अग्रिम आदेश तक रद्द कर दिया है। साथ ही, सभी को अपने कार्यक्षेत्र पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।

सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि जो मरीज अस्पताल में आ रहे हैं, उनको अटेंड किया जा रहा है। किसी तरह की तकलीफ न हो यह सुनिश्चित करने के लिए अलग से हमने स्टाफ नियुक्त किया है। वार्डों में मरीजों को देखने के लिए हमने इंटर्न की भी ड्यूटी लगाई है।

सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इमरजेंसी के इंचार्ज डॉक्टर बीपी मीणा ने बताया कि हड़ताल के कारण 15 अगस्त को काफी परेशानी रही। 16 अगस्त को मेडिकल ऑफिसर्स की ड्यूटी लगाई गई। तब जाकर थोड़ी व्यवस्थाएं सुधरीं। शुक्रवार रात 12 से शनिवार सुबह 12 तक 263 मरीज इमरजेंसी में दिखाने आए। इनमे से 33 गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद भर्ती किया गया।

राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए सरकार ने एक डेडिकेटेड स्टेट कंट्रोल रूम बनाया है। इसमें राउंड द क्लॉक तीन सेगमेंट में ड्यूटी लगाई गई है। इस कंट्रोल रूम पर आने वाली हेल्थ सेक्टर संबंधी शिकायतों (डॉक्टर्स, स्टाफ ड्यूटी नहीं आया या कोई संसाधन उपलब्ध नहीं है) आदि के निस्तारण के लिए छह डॉक्टर्स समेत नाै स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है। स्टेट में कहीं से भी आने वाले फोन का निस्तारण करने की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई है। लैब टेक्नीशियन भी इस आंदोलन में शामिल हो गए हैं। वे कार्यस्थल पर भी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। लैब टेक्नीशियन संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाकर्मी अपने कार्य स्थल पर शिकार हो रही है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। चिकित्सा कर्मियों के भयमुक्त वातावरण के किए सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट बनना चाहिए।

अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन हॉस्पिटल में रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, इंटर्न और सेवारत डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे। हॉस्पिटल की इमरजेंसी ओपीडी और इमरजेंसी में प्रिंसिपल डॉ.अनिल सामरिया, अधीक्षक डॉ.अरविंद खरे के साथ कुछ सीनियर डॉक्टरों ने व्यवस्था संभाली है। रूटीन ओपीडी बंद है। अजमेर के प्राइवेट हॉस्पिटल में भी एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की गई है। जेएलएन हॉस्पिटल के अधीक्षक अरविंद खरे ने बताया कि सीनियर डॉक्टर, फैकल्टी ने ओपीडी का कार्य बहिष्कार रखा है। रेजिडेंट पहले से ही हड़ताल पर चल रहे हैं। इसे देखते हुए अतिरिक्त व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि कैजुअल्टी इमरजेंसी और आईसीयू में कोई परेशानी न आए। हॉस्पिटल आने वाले गंभीर मरीजों को समय से इलाज मिल सके। मिलिट्री और रेलवे हॉस्पिटल से भी डॉक्टर की डिमांड की गई है।

जोधपुर में शनिवार सुबह से रेजिडेंट डॉक्टरों ने 24 घंटे के लिए इमरजेंसी और आईसीयू में काम करना बंद कर दिया है। रेजिडेंट आउटडोर वार्ड में ड्यूटी का कार्य बहिष्कार पांच दिन से कर रहे हैं। शनिवार को इमरजेंसी और आईसीयू रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से एमडीएम हॉस्पिटल, एम्स, महात्मा गांधी हॉस्पिटल व उम्मेद हॉस्पिटल में प्लान किए गए करीब 200 ऑपरेशन को टाल दिया गया है। आज आउटडोर बंद रहा। हॉस्पिटल में भर्ती व इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिम्मेदारी सीनियर रेजिडेंट, सहायक आचार्य, वरिष्ठ आचार्य और सहआचार्य पर आ गई है।

अलवर में भी सरकारी व गैर सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। शनिवार सुबह 6 से रविवार सुबह 6 बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। इस कारण जिला हॉस्पिटल में मरीजों को नहीं देखा जा रहा है। इससे पहले शुक्रवार देर शाम रेजिडेंट डॉक्टर ने कैंडल मार्च भी निकाला। नो सेफ्टी नो ड्यूटी के पोस्टर लेकर पैदल मार्च किया। यहां अलवर जिला हॉस्पिटल की इमरजेंसी में एक ही डॉक्टर मौजूद रहा। कोटा में भी ओपीडी का छह बजे से 24 घंटे का कार्य बहिष्कार रखा गया है। प्राइवेट व सरकारी हॉस्पिटल में 24 घंटे के लिए ओपीडी बंद है। सरकारी हॉस्पिटल में केवल इमरजेंसी चालू है। यहां सीनियर डॉक्टर, यूनिट हेड ने मोर्चा संभाला है। ​​​​​​न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन काउंटर सुबह से बंद है।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप

   

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