रंगभरी एकादशी पर मंदिर प्रशासन के दबाव में ढक कर गयी रजत पालकी
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- Mar 12, 2025

— महंत आवास से परंपरागत पालकी यात्रा के समय में अचानक परिवर्तन और पालकी के ढके होने पर महंत परिवार ने कारण बताया
वाराणसी,12 मार्च (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ के गौना उत्सव (रंगभरी एकादशी) के मौके पर मंदिर के पूर्व महंत परिवार और मंदिर प्रशासन के बीच विवाद गहरा गया है। मंदिर के पूर्व महंत स्व.डॉ कुलपति तिवारी के पुत्र पंडित वाचस्पति तिवारी ने बुधवार को टेढ़ीनीम स्थित अपने आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पूरी घटना का सिलसिलेवार विवरण दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने अचानक 168 बी की नोटिस जारी कर महंत आवास पर परंपरागत पालकी यात्रा और उत्सव को रोकने का प्रयास किया। इस नोटिस में मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति के निधन के बाद परंपरा को न मानने का आदेश दिया गया, जिससे भक्तों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
महंत तिवारी के अनुसार, इस विशिष्ट आयोजन में हर साल बाबा के भक्त सक्रिय रूप से बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं, लेकिन नोटिस के बाद मंदिर प्रशासन पर दबाव बढ़ा और फिर एक साजिश के तहत बाबा की पालकी को जमीन पर रखवा दिया गया। इसके बाद काशी के जनप्रतिनिधियों, मंदिर प्रशासन, वाराणसी मण्डल और संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक हुई, लेकिन इस परंपरागत पालकी यात्रा पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हो पाया।
महंत ने बताया कि रविवार रात महादेव के ससुराल आगमन के लोकाचार के दौरान महंत आवास पर बाबा के भक्तों की मौजूदगी के बाद देर रात मंदिर प्रशासन ने महंत परिवार पर अनैतिक दबाव बनाया। मंदिर प्रशासन ने कहा कि अगर महंत परिवार इस परंपरा को जारी रखता है, तो मंदिर प्रशासन बाबा की प्रतिमा को सीज कर देगा और महंत परिवार को उनके घर से निकलने नहीं दिया जाएगा। मंदिर प्रशासन ने यह भी धमकी दी कि संकरी गलियों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र होंगे, और अगर कोई दुर्घटना होती है, तो उसका जिम्मेदार महंत परिवार और श्रद्धालु ही होंगे।
महंत तिवारी ने आरोप लगाया कि मंदिर प्रशासन ने काशी की प्राचीन परंपरा को दरकिनार करते हुए बाबा की पालकी को गर्भगृह में स्थापित करने के बजाय कहा कि परिसर में जगह उपलब्ध कराया जाएगा। जहां से आप श्रद्धालुओं सहित अपने समय पर सभी लोकाचार को पूरा करेंगे। प्रशासन को बताया गया कि महंत आवास में गौना के लोकाचार के बाद पालकी को सिर्फ गर्भगृह में ही परंपरागत पालकी पर विराजमान कराकर आरती की जाती है। इस पर मंदिर प्रशासन ने दबाव बनाया कि प्रतिमा आप मंदिर लाकर लोकाचार पूरा करें। श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन करायें। वहीं से पालकी गर्भगृह में स्थापित करने पर सहमति बनी। मंहत वाचस्पति के अनुसार विदाई लोकाचार के बाद प्रतिमा को गर्भगृह के अलावा और कही नहीं रखा जा सकता। इसलिए बाबा की प्रतिमा ढक कर ले जाई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर परिसर में प्रशासन ने परंपरागत प्रतिमा तक श्रद्धालुओं को आने नहीं दिया। मंदिर के शंकराचार्य चौक पर मन्दिर प्रशासन ने परंपरागत प्रतिमा रखने का भ्रम फैलाया। मंदिर पहुंचने पर महादेव की पालकी को जमीन पर रख धार्मिक आस्था पर प्रहार किया गया। काशी की परंपरा के साथ हुए इस छल का पूरा-पूरा दायित्व काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और पुलिस का है। उन्होंने बताया कि महंत आवास से प्रतिमा को मंदिर लाकर रख तो दिया गया । लेकिन मंदिर की ओर दूसरी प्रतिमा को गर्भगृह में भेजा गया । जब पालकी उठाकर गर्भगृह तक जाने की बारी आई तो मंदिर के अधिकारियों ने महंत आवास से गई प्रतिभा को अनदेखा किया और षड्यंत्र के तहत सुरक्षा कर्मियों की भीड़ में पालकी को गर्भगृह की तरफ जाने से रोकने का प्रयास किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी