राष्ट्रीय राजमार्ग-44 बंद रहने के दौरान कुल सेब उत्पादन का केवल 1प्रतिशत ही राजमार्ग पर फंसा रहा -जम्मू-कश्मीर सरकार

श्रीनगर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को कहा कि इस साल अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में भारी बारिश और भूस्खलन हुआ। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 बंद हो गया जिससे बागवानी उत्पादों, खासकर सेबों, को बाहरी बाज़ारों तक पहुँचाने में बाधा उत्पन्न हुई। सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहने के दौरान कुल उपज का केवल लगभग 1 प्रतिशत ही फँसा रहा जबकि अधिकांश उपज मौसमी पैटर्न के अनुसार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।

विधानसभा में एक लिखित जवाब में सरकार ने कहा कि 2025 सीज़न के लिए कश्मीर में वर्तमान सेब उत्पादन 22.15 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। राष्ट्रीय राजमार्ग -44 और मुगल रोड के बंद होने से फलों से लदे ट्रकों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई जिससे 17 सितंबर तक 22,000 मीट्रिक टन (लगभग 2,200 ट्रक) से ज़्यादा फल राजमार्ग पर फँस गए।

इसमें कहा गया है कि व्यवधान के बावजूद सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग -44 और मुगल रोड दोनों मार्गों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के बाहर फलों से लदे लगभग 45,922 ट्रक भेजने में सफल रही जिनमें पिछले सीज़न के भंडारण में रखे गए फल भी शामिल थे।

इसमें आगे कहा गया है कि परिवहन की सुविधा के लिए मुगल रोड के रास्ते एक वैकल्पिक मार्ग पूरी तरह से चालू कर दिया गया है जबकि बडगाम और अनंतनाग से दिल्ली और जम्मू के लिए रेल सेवाएँ भी फिर से शुरू हो गई हैं।

इसमें कहा गया है सड़क नाकेबंदी के दौरान, 10.03 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 1,25,376 सेब के डिब्बे ट्रेन से भेजे गए। इसके अतिरिक्त, ट्रकों की आवाजाही की निगरानी और समन्वय के लिए काजीगुंड में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया था।

सरकार ने कहा कि नाकेबंदी के दौरान कुल उपज का केवल लगभग 1 प्रतिशत ही फँसा रहा जबकि अधिकांश उपज मौसमी पैटर्न के अनुसार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।

26-27 अगस्त और फिर 2-3 सितंबर को लगातार बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर खासकर रामबन और उधमपुर जिलों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई जिससे सड़क के कई हिस्से बह गए। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने युद्धस्तर पर बहाली का काम शुरू किया और 10 सितंबर तक सड़क को आंशिक रूप से फिर से खोल दिया।

सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि लंबे समय तक बारिश और बाढ़ के कारण बागवानी किसानों को नुकसान हुआ है। जम्मू-कश्मीर में 431.091 हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान का आकलन किया गया है और फसल को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है।एस्डीआरफ और एनडीआरफ मानदंडों के तहत कुल स्वीकार्य मुआवजा 152.37 लाख रुपये है जिसमें से 12.28 लाख रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।

भविष्य के जोखिमों को कम करने के लिए सरकार ने कहा कि वह सेब, केसर, आम और लीची सहित अन्य फसलों के लिए पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) लागू करने की योजना बना रही है। सूचीबद्ध बीमा कंपनियों के लिए निविदा प्रक्रिया अभी चल रही है।

सरकार ने आगे बताया कि कश्मीर की लगभग 50 प्रतिशत बागवानी उपज घाटी के भीतर ही बेची जा रही है जबकि बाकी का व्यापार गोदामों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के माध्यम से बाहर किया जा रहा है। शेष 16.61 लाख मीट्रिक टन में बिना तोड़े फल शामिल हैं जो चालू सीज़न की उपज का लगभग 75 प्रतिशत है।

हिन्दुस्थान समाचार / राधा पंडिता

   

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