चर्च के अनुयायियों को भी दूसरे चर्च, अपने मिशन में करा रहे शामिल : मेघा

रांची, 17 नवंबर (हि.स.)। झारखंड में आदिवासी सरना समुदाय के साथ–साथ अब विभिन्न चर्चों के सदस्यों को भी जबरन दूसरे चर्चों में शामिल कराया जाने का मामला सामने आया है। इस संबंध में आदिवासी संगठन के नेता मेघा उरांव ने रांची के दशमाईल में क्षेत्रीय सरना समिति झारखंड प्रदेश की ओर से आयोजित बैठक में सोमवार को जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि डूबकी मिशन, जीईएल चर्च, कैथॉलिक, प्रोटेस्टेंट, पेंटेकोस्टल सहित कई चर्चों के बीच सदस्य संख्या बढ़ाने की होड़ मची है, जिसके कारण एक चर्च के अनुयायियों को दूसरे चर्च अपने मिशन में शामिल करा रहे हैं। उन्‍होंने इसे हास्यप्रद बताते हुए कहा कि चांद गांव में पिछले एक साल से प्रार्थना और चंगाई सभा के नाम पर भोले-भाले आदिवासियों और अन्य समुदायों के लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है।

मेघा उरांव ने कहा कि सरना समुदाय की एकजुटता और सामूहिक प्रयास से चांद गांव में जारी इस धर्मांतरण के खेल को समाप्त किया जाएगा। बैठक में आगामी 23 दिसंबर को प्रस्तावित आदिवासी सरना बचाव महारैली में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन करने की रणनीति भी तय की गई।

इस दौरान समिति के केंद्रीय अध्यक्ष राम पाहान बांडो ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों के विकास की बात सिर्फ कागजों में होती रही है, जबकि जमीनी स्थितियां अत्यंत दयनीय हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नाम पर ठगे गए आदिवासियों को उनकी गरीबी और विवशता का फायदा उठाकर जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है।

सोमा उरांव ने कटाक्ष करते हुए कहा कि भोले-भाले आदिवासी-मूलवासियों को असल खतरा बाहरी ताकतों से है, जो विकास नहीं होने देना चाहतीं। उन्होंने आरोप लगाया कि चांद गांव में धर्मांतरण करा रहे बाहरी लोगों को स्थानीय विशेष समुदायों का संरक्षण प्राप्त है।

वहीं मौके पर डॉ करमा उरांव ने कहा कि यदि प्रार्थना और चंगाई सभा से वास्तव में बीमारी और बेरोजगारी दूर होती, तो कोरोना काल में अस्पतालों से डॉक्टर हटाकर मिशनरियों को भेज दिया जाता।

बैठक में रामपाहान बांडो, शनि टोप्पो, त्रिलोक सिंह, महली पाहान, सोमा उरांव, मेघा उरांव, संदीप उरांव, बुधराम बेदिया, अजय कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar

   

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