हिसार : पशुपालन व डेयरी विशेषज्ञ को पारंपरिक कार्यों तक सीमित नहीं रखना चाहिए : डॉ. नरेश जिंदल

लुवास में पशुपालन और डेयरी विज्ञान में उद्यमिता विकास पर ऑनलाइन कार्यशाला

आयोजित

हिसार, 15 अप्रैल (हि.स.)। लाला लाजपत राय पशु पालन पशु विज्ञान विश्वविद्यालय

में ‘पशुपालन और डेयरी विज्ञान में उद्यमिता विकास’ पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह

कार्यक्रम प्रौद्योगिकी इन्क्यूबेशन सेंटर और संस्थान नवाचार परिषद, मानव संसाधन प्रबंधन

निदेशालय के संयुक्त आयोजन में और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, अहमदाबाद, गुजरात

के सहयोग से आयोजित किया गया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) नरेश जिंदल ने मंगलवार काे अपने संदेश

में कहा कि आज के पशुपालन और डेयरी क्षेत्र के विशेषज्ञ को केवल पारंपरिक कार्यों तक

सीमित नहीं रखना चाहिए। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और बाज़ार की गतिशीलताओं में हो रहे

तीव्र बदलावों के बीच, ऐसे उद्यमिता दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो समाज में सार्थक,

प्रभावशाली और व्यावसायिक रूप से विकसित करने योग्य समाधान प्रस्तुत कर सके। लुवास

में हम अपने छात्रों को केवल एक पशु चिकित्सक या विद्वान के रूप में नहीं, बल्कि एक

नवप्रवर्तक और परिवर्तन कर्ता के रूप में तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। डॉ. जिंदल

ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे ग्रामीण क्षेत्र में बदलाव और राष्ट्रीय

विकास के लिए उद्यमिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से भाग लें।

कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर मानव संसाधन प्रबंधन निदेश डॉ. राजेश खुराना

सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और पशुपालन और डेयरी विज्ञान के छात्रों

में नवाचार और उद्यमिता क्षमता को पोषित करने के महत्व को रेखांकित किया। इस कार्यशाला

का उद्घाटन भाषण प्रो. रमण गुर्जल, निदेशक, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी साझेदारी

विभाग, अहमदाबाद ने दिया। प्रो. गुर्जल ने विशेष रूप से सीएसआर भागीदारी, इन्क्यूबेशन

मॉडल और जमीनी स्तर की नवाचार के माध्यम से पशुपालन और डेयरी क्षेत्रों में उद्यमिता

के महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में कृषि-व्यवसाय उद्यमिता के विशेषज्ञ

सुमित कुमार ने तकनीकी सत्र भी आयोजित किया।

कार्यक्रम में पशुपालन और डेयरी विज्ञान के छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

चर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में डेयरी, पोल्ट्री और पशुपालन क्षेत्रों में उद्यमिता

के विभिन्न अवसरों की खोज, विशेष रूप से स्केलेबल व्यापार मॉडलों के विकास और कृषि-प्रौद्योगिकी

नवाचारों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। सत्रों में कौशल विकास के महत्व

को भी रेखांकित किया गया, जो छात्रों को उद्यमिता के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करता

है। इसके अतिरिक्त, चर्चा में व्यापार इन्क्यूबेशन, मेंटोरशिप और संस्थागत समर्थन की

भूमिका पर भी विचार किया गया, जो आगामी कृषि-उद्यमियों के लिए एक समृद्ध पारिस्थितिकी

तंत्र को बढ़ावा देने में मदद करता है, ताकि वे चुनौतियों को पार कर सकें और कृषि-व्यवसाय

क्षेत्र में स्थायी उद्यमों का निर्माण कर सकें। यह कार्यशाला लुवास के मिशन में एक

और कदम आगे बढ़ाते हुए, शिक्षा, नवाचार और उद्यमिता के बीच पुल का काम करती है, जिससे

छात्रों को ग्रामीण विकास, खाद्य सुरक्षा और स्थायी पशुपालन प्रबंधन के नेताओं के रूप

में उभरने का अवसर मिलता है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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