चमोली करंट हादसे के एक साल बाद भी नहीं मिल पाई दोषियों को सजा: गरिमा दसौनी

देहरादून, 21 जुलाई (हि.स.)। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने चमोली करंट हादसे में मृत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 16 लोगों की 4 मिनट में जान चली जाती है परंतु एक साल बीत जाने के बाद भी दोषियों को सजा नहीं मिल पाई।

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने जारी एक बयान में कहा कि चमोली करंट हादसा उत्तराखंड के इतिहास का सबसे दर्दनाक करंट हादसा है। उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चाहे रैहणी आपदा हो, ग्लेशियरों का टूटना, घस्यारी विवाद या जोशीमठ भू-धंसाव जैसी घटनाओं को लेकर चमोली जिला लगातार सुर्खियों में बना रहा, लेकिन बीते वर्ष बुधवार (19 जुलाई 2023) को चमोली जिले में जो हुआ उस घटना ने सबको झकझोर दिया था। लगभग एक वर्ष पहले चमोली करंट हादसे में 3 गांव से 16 लोगों की मौत हुई। उन्होंने कहा कि कार्यदाई संस्था पर कोई कठोर कार्रवाही ना होना संदेहास्पद है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन (यूपीसीएल) से मिले आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड बनने के बाद प्रदेश में अब तक 2252 करंट से आग लगने की घटना सामने आई हैं। वहीं, शॉर्ट सर्किट की 206 घटनाएं हुई हैं। प्रदेश में करंट लगने से अब तक 1659 घटनाएं हो चुकी हैं। साल 2017 में कुमाऊं के रामनगर में बस के ऊपर बिजली का तार गिर गया था। इस घटना में 3 लोग मारे गए थे। 2018 में खटीमा में ही बिजली का तार टूटने की वजह से 3 लोगों की मौत हुई थी। 2021 में सड़क पर बिजली का तार टूट कर गिरने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हुई थी। 2023 में दर्दनाक हादसा एसटीपी प्लांट में हुआ, जिसमें 16 लोगों की जान गई। प्रदेश में सबसे ज्यादा करंट लगने से उन लोगों की जान जाती है जो ठेके पर बिजली के खंभों पर चढ़कर काम करते हैं। अब तक ऐसे 250 लोगों की जान जा चुकी है। करंट से मरने वालों को मात्र 4 लाख मुआवजा दिया जाता है, जो बेहद कम है।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह

   

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