
जयपुर, 4 मई (हि.स.)। विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने समाज, शिक्षा और युवाओं से जुड़े मुद्दों पर प्रभावशाली विचार साझा किए। उन्होंने युवाओं को सजग रहने की सलाह दी और बेटियों को आत्मनिर्भर व शिक्षित बनाने पर विशेष बल दिया।
प्रदीप मिश्रा ने युवतियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें सतर्क रहना चाहिए और बाहरी दिखावे से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लड़कों से सावधान रहें जो थोड़े से खर्च, चाउमिन, पेट्रोल या मोबाइल बैलेंस के माध्यम से लड़कियों को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने युवतियों से अपील की कि वे अपने माता-पिता पर विश्वास रखें और उन्हें ही कन्यादान का सौभाग्य दें।
कथा में प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अपने परिवार के साथ आरती में सम्मिलित हुए। उनके साथ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य और सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा भी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने कथा आयोजन के लिए आयोजकों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि राजस्थान शक्ति और भक्ति की भूमि है। शिवमहापुराण एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन को सार्थकता प्रदान करता है और वर्तमान समय में सनातन धर्म का पुनर्जागरण हो रहा है।
प्रदीप मिश्रा ने पाकिस्तान से संबंधित विषयों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी प्रतिक्रिया जल्दबाजी में नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक युद्ध शस्त्र से लड़ा जाता है, दूसरा बुद्धि से। संयम और समझदारी की आवश्यकता है। उन्होंने बेटियों की शिक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि बेटों की तुलना में बेटियों को दोगुना पढ़ाओ। उन्हें ऐसा बनाओ कि किसी पर निर्भर न रहना पड़े। अच्छी शिक्षा और संस्कार से वे झांसी की रानी, अहिल्याबाई या जीजाबाई जैसी बन सकती हैं। कथा में उन्होंने जीवन के महत्व और भक्ति के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिवमहापुराण एक ऐसी औषधि है जो जीवन के दुखों का नाश करती है। जब तक जीवन है, शिव का स्मरण करते रहना चाहिए।
प्रदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि परमात्मा, माता-पिता और जीवनसाथी पर कभी शंका नहीं करनी चाहिए, क्योंकि शंका जीवन को नष्ट कर देती है। उन्होंने जीवन को मस्त और सरल बनाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि बचपन की बात दिल में और पचपन की बात दिमाग में नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने जयपुरवासियों की श्रद्धा को सराहते हुए कहा कि यह कथा किसी व्यक्ति की नहीं, भगवान गोविंद देव जी की प्रेरणा से हो रही है। जयपुर की धरती पर श्रद्धालुओं का उत्साह अभूतपूर्व है।
आयोजन समिति के संयोजक राजन शर्मा और सचिव अनिल संत ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक हो रही है। सुरक्षा और व्यवस्था में पुलिस प्रशासन का सहयोग सराहनीय रहा। तीसरे दिन कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने कथा समाप्त करने की बात कही थी, लेकिन जिला प्रशासन और आयोजकों से हुई वार्ता के बाद कथा 7 मई तक जारी रखने का निर्णय लिया गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी भी साझा की। बाद में मिश्रा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से उनके निवास पर भेंट कर आभार व्यक्त किया, जहां मुख्यमंत्री ने उन्हें दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मानित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश